प्रनवउँ पवनकुमार खल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 29: Line 29:
|टिप्पणियाँ =  
|टिप्पणियाँ =  
}}
}}
;श्रीराम वन्दना
<h3 style="text-align:center;">रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : श्रीराम वन्दना</h3>
{{poemopen}}
{{poemopen}}
<poem>
<poem>

Revision as of 13:41, 24 July 2016

प्रनवउँ पवनकुमार खल
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड

रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : श्रीराम वन्दना

सोरठा

प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥17॥

भावार्थ-

मैं पवनकुमार श्री हनुमानजी को प्रणाम करता हूँ, जो दुष्ट रूपी वन को भस्म करने के लिए अग्निरूप हैं, जो ज्ञान की घनमूर्ति हैं और जिनके हृदय रूपी भवन में -बाण धारण किए श्री रामजी निवास करते हैं॥17॥


left|30px|link=रिपुसूदन पद कमल नमामी|पीछे जाएँ प्रनवउँ पवनकुमार खल right|30px|link=कपिपति रीछ निसाचर राजा|आगे जाएँ

सोरठा- मात्रिक छंद है और यह 'दोहा' का ठीक उल्टा होता है। इसके विषम चरणों (प्रथम और तृतीय) में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख