भूपति तृषित बिलोकि: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
सपना वर्मा (talk | contribs) ('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
सपना वर्मा (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 31: | Line 31: | ||
{{poemopen}} | {{poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
; | ;दोहा | ||
भूपति तृषित बिलोकि तेहिं सरबरू दीन्ह देखाइ। | भूपति तृषित बिलोकि तेहिं सरबरू दीन्ह देखाइ। | ||
मज्जन पान समेत हय कीन्ह नृपति हरषाइ॥ 158॥ | मज्जन पान समेत हय कीन्ह नृपति हरषाइ॥ 158॥ | ||
Line 41: | Line 41: | ||
{{लेख क्रम4| पिछला=राउ तृषित नहिं सो पहिचाना |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=गै श्रम सकल सुखी नृप भयऊ}} | {{लेख क्रम4| पिछला=राउ तृषित नहिं सो पहिचाना |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=गै श्रम सकल सुखी नृप भयऊ}} | ||
''' | '''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
Latest revision as of 08:40, 8 June 2016
भूपति तृषित बिलोकि
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
भूपति तृषित बिलोकि तेहिं सरबरू दीन्ह देखाइ। |
- भावार्थ-
राजा को प्यासा देखकर उसने सरोवर दिखला दिया। हर्षित होकर राजा ने घोड़े सहित उसमें स्नान और जलपान किया॥ 158॥
left|30px|link=राउ तृषित नहिं सो पहिचाना|पीछे जाएँ | भूपति तृषित बिलोकि | right|30px|link=गै श्रम सकल सुखी नृप भयऊ|आगे जाएँ |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख