तहँ करि भोग बिसाल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
<h4 style="text-align:center;">रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : भानुप्रताप की कथा</h4>
{{सूचना बक्सा पुस्तक
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
Line 29: Line 30:
|टिप्पणियाँ =  
|टिप्पणियाँ =  
}}
}}
====भानुप्रताप की कथा====
{{poemopen}}
{{poemopen}}
<poem>
<poem>

Latest revision as of 14:16, 24 July 2016

रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : भानुप्रताप की कथा

तहँ करि भोग बिसाल
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

तहँ करि भोग बिसाल तात गएँ कछु काल पुनि।
होइहहु अवध भुआल तब मैं होब तुम्हार सुत॥ 151॥

भावार्थ-

हे तात! वहाँ (स्वर्ग के) बहुत-से भोग भोगकर, कुछ काल बीत जाने पर, तुम अवध के राजा होगे। तब मैं तुम्हारा पुत्र होऊँगा॥ 151॥


left|30px|link=अस बरु मागि चरन गहि रहेऊ|पीछे जाएँ तहँ करि भोग बिसाल right|30px|link=इच्छामय नरबेष सँवारें|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख