महमूद तुग़लक़: Difference between revisions
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महमूद तुग़लक (1394-1413 ई.) [[दिल्ली]] के [[तुग़लक वंश]] का अंतिम सुल्तान था। उसके राज्यकाल में अनवरत संघर्ष चलते रहे और दुरवस्था चरम सीमा पर पहुँच गयी। उसके राज्य काल के पूर्वार्द्ध में लम्बा उत्तराधिकार युद्ध 1399 ई. तक चलता रहा। जब उसका प्रतिद्वन्द्वी सुल्तान नसरत शाह पराजित हुआ और मारा गया। तब उसके राज्य काल के उत्तरार्द्ध में [[दिल्ली सल्तनत]] टूटने लगी। [[जौनपुर]], [[गुजरात]], [[मालवा]] और [[ख़ानदेश]] स्वतंत्र मुस्लिम राज्य बने। दूसरी ओर [[ग्वालियर]] में एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य की स्थापना हुई। [[दोआब]] के हिन्दुओं में बराबर विद्रोह होता रहा। इन्हीं परिस्थितियों में 1398 ई. में [[तैमूर लंग|तैमूर]] ने [[भारत]] पर चढ़ाई कर दी। सुल्तान महमूद तुग़लक के राज्य में इतनी अव्यवस्था थी कि आक्रमणकारी [[दिल्ली]] की सीमाओं तक पहुँच गये और उसका कोई प्रतिरोध नहीं किया गया। तैमूर की सेनाओं ने सुल्तान की सेना को गहरी शिकस्त दी और महमूद गुजरात भाग गया। तैमूर की विजयी सेना दिल्ली में घुस आयी और पन्द्रह दिन तक निर्दयतापूर्वक लूटपाट करती रही। तैमूर के वापस लौट जाने के बाद सुल्तान महमूद तुग़लक वापस दिल्ली लौट आया और वह सल्तनत को विनाश से नहीं बचा सका। 1413 ई. में उसकी मृत्यु होने पर तुग़लक वंश का अंत हो गया। | महमूद तुग़लक (1394-1413 ई.) [[दिल्ली]] के [[तुग़लक वंश]] का अंतिम सुल्तान था। उसके राज्यकाल में अनवरत संघर्ष चलते रहे और दुरवस्था चरम सीमा पर पहुँच गयी। उसके राज्य काल के पूर्वार्द्ध में लम्बा उत्तराधिकार युद्ध 1399 ई. तक चलता रहा। जब उसका प्रतिद्वन्द्वी सुल्तान नसरत शाह पराजित हुआ और मारा गया। तब उसके राज्य काल के उत्तरार्द्ध में [[दिल्ली सल्तनत]] टूटने लगी। [[जौनपुर]], [[गुजरात]], [[मालवा]] और [[ख़ानदेश]] स्वतंत्र मुस्लिम राज्य बने। दूसरी ओर [[ग्वालियर]] में एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य की स्थापना हुई। [[दोआब]] के हिन्दुओं में बराबर विद्रोह होता रहा। इन्हीं परिस्थितियों में 1398 ई. में [[तैमूर लंग|तैमूर]] ने [[भारत]] पर चढ़ाई कर दी। सुल्तान महमूद तुग़लक के राज्य में इतनी अव्यवस्था थी कि आक्रमणकारी [[दिल्ली]] की सीमाओं तक पहुँच गये और उसका कोई प्रतिरोध नहीं किया गया। तैमूर की सेनाओं ने सुल्तान की सेना को गहरी शिकस्त दी और महमूद गुजरात भाग गया। तैमूर की विजयी सेना दिल्ली में घुस आयी और पन्द्रह दिन तक निर्दयतापूर्वक लूटपाट करती रही। तैमूर के वापस लौट जाने के बाद सुल्तान महमूद तुग़लक वापस दिल्ली लौट आया और वह सल्तनत को विनाश से नहीं बचा सका। 1413 ई. में उसकी मृत्यु होने पर तुग़लक वंश का अंत हो गया। | ||
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Revision as of 17:14, 14 September 2010
महमूद तुग़लक (1394-1413 ई.) दिल्ली के तुग़लक वंश का अंतिम सुल्तान था। उसके राज्यकाल में अनवरत संघर्ष चलते रहे और दुरवस्था चरम सीमा पर पहुँच गयी। उसके राज्य काल के पूर्वार्द्ध में लम्बा उत्तराधिकार युद्ध 1399 ई. तक चलता रहा। जब उसका प्रतिद्वन्द्वी सुल्तान नसरत शाह पराजित हुआ और मारा गया। तब उसके राज्य काल के उत्तरार्द्ध में दिल्ली सल्तनत टूटने लगी। जौनपुर, गुजरात, मालवा और ख़ानदेश स्वतंत्र मुस्लिम राज्य बने। दूसरी ओर ग्वालियर में एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य की स्थापना हुई। दोआब के हिन्दुओं में बराबर विद्रोह होता रहा। इन्हीं परिस्थितियों में 1398 ई. में तैमूर ने भारत पर चढ़ाई कर दी। सुल्तान महमूद तुग़लक के राज्य में इतनी अव्यवस्था थी कि आक्रमणकारी दिल्ली की सीमाओं तक पहुँच गये और उसका कोई प्रतिरोध नहीं किया गया। तैमूर की सेनाओं ने सुल्तान की सेना को गहरी शिकस्त दी और महमूद गुजरात भाग गया। तैमूर की विजयी सेना दिल्ली में घुस आयी और पन्द्रह दिन तक निर्दयतापूर्वक लूटपाट करती रही। तैमूर के वापस लौट जाने के बाद सुल्तान महमूद तुग़लक वापस दिल्ली लौट आया और वह सल्तनत को विनाश से नहीं बचा सका। 1413 ई. में उसकी मृत्यु होने पर तुग़लक वंश का अंत हो गया।