पुनि प्रभु हरषि सत्रुहन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
<h4 style="text-align:center;">रामचरितमानस सप्तम सोपान (उत्तर काण्ड) : भरत मिलाप</h4>
{{सूचना बक्सा पुस्तक
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
Line 29: Line 30:
|टिप्पणियाँ =  
|टिप्पणियाँ =  
}}
}}
;भरत-मिलाप
{{poemopen}}
{{poemopen}}
<poem>
<poem>

Latest revision as of 14:48, 28 July 2016

रामचरितमानस सप्तम सोपान (उत्तर काण्ड) : भरत मिलाप

पुनि प्रभु हरषि सत्रुहन
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
दोहा

पुनि प्रभु हरषि सत्रुहन भेंटे हृदयँ लगाइ।
लछिमन भरत मिले तब परम प्रेम दोउ भाइ॥5॥

भावार्थ

फिर प्रभु हर्षित होकर शत्रुघ्नजी को हृदय से लगाकर उनसे मिले। तब लक्ष्मण जी और भरत जी दोनों भाई परम प्रेम से मिले॥।5॥


left|30px|link=बूझत कृपानिधि कुसल भरतहि|पीछे जाएँ पुनि प्रभु हरषि सत्रुहन right|30px|link=भरतानुज लछिमन पुनि भेंटे|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख