बलबीर सिंह: Difference between revisions

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'''बलबीर सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Balbir Singh'', जन्म- [[10 अक्टूबर]], [[1924]], [[जालंधर]], [[पंजाब]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध [[हॉकी]] खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह का नाम आज भी शीर्ष खिलाड़ियों में लिया जाता है। वह अपने खेलने के दिनों से ही सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में एक समझे जाते रहे है। उनकी आज भी भारत में ही नहीं विश्व में भी प्रशंसा होती है। उनकी हाँकी से ऐसे गोल निकलते थे, जिनका जवाब नहीं। उन्होंने तीन बार ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता- [[1948]], [[1952]] तथा [[1956]] में। वह पंजाब सरकार में खेलों के निदेशक भी रहे। मोगा में एक इनडोर स्टेडियम का नाम उनके नाम पर रखा गया है। बलबीर सिंह को [[1957]] में ‘[[पद्मश्री]]’ से सम्मानित किया गया था।
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जब भारतीय टीम ने [[1975]] में कुआलालंपुर में थर्ड वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता, तब बलबीर सिंह भारतीय टीम के मैनेजर, कोच तथा टीम के मुख्य चयनकर्ता थे। इस टूर्नामेंट में भारत ने 11 वर्ष बाद स्वर्ण पदक जीता था, जिसका श्रेय बलबीर सिंह को जाता है। 1982 में मेलबर्न में एसांडा वर्ल्ड कप खेलने के वक्त भी भारतीय टीम के मैनेजर बलबीर सिंह थे। उन्हें अनेक बार उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया।
जब भारतीय टीम ने [[1975]] में कुआलालंपुर में थर्ड वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता, तब बलबीर सिंह भारतीय टीम के मैनेजर, कोच तथा टीम के मुख्य चयनकर्ता थे। इस टूर्नामेंट में भारत ने 11 वर्ष बाद स्वर्ण पदक जीता था, जिसका श्रेय बलबीर सिंह को जाता है। 1982 में मेलबर्न में एसांडा वर्ल्ड कप खेलने के वक्त भी भारतीय टीम के मैनेजर बलबीर सिंह थे। उन्हें अनेक बार उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया।
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[[चित्र:Balbir-Singh-at-London-Olympic-1948.png|thumb|250px|लंदन ओलम्पिक-1948 में ब्रिटेन के विरुद्ध खेलते बलबीर सिंह]]
[[1974]] में वाशिगंटन में केनेडी मेमोरियल इन्टरनेशनल हॉकी टूर्नामेंट में बलबीर सिंह को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। उसके छह वर्ष पश्चात् [[1980]] में मास्को ओलंपिक में उन्हें सम्मानित अतिथि के रूप में बुलाया गया। [[दिल्ली]] में 1982 में हुए एशियाई खेलों की मशाल बलबीर सिंह ने ही प्रज्जवलित की थी।
[[1974]] में वाशिगंटन में केनेडी मेमोरियल इन्टरनेशनल हॉकी टूर्नामेंट में बलबीर सिंह को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। उसके छह वर्ष पश्चात् [[1980]] में मास्को ओलंपिक में उन्हें सम्मानित अतिथि के रूप में बुलाया गया। [[दिल्ली]] में 1982 में हुए एशियाई खेलों की मशाल बलबीर सिंह ने ही प्रज्जवलित की थी।
;खेल निदेशक
;खेल निदेशक

Revision as of 06:47, 22 September 2016

thumb|250px|बलबीर सिंह बलबीर सिंह (अंग्रेज़ी: Balbir Singh, जन्म- 10 अक्टूबर, 1924, जालंधर, पंजाब) भारत के प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह का नाम आज भी शीर्ष खिलाड़ियों में लिया जाता है। वह अपने खेलने के दिनों से ही सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में एक समझे जाते रहे है। उनकी आज भी भारत में ही नहीं विश्व में भी प्रशंसा होती है। उनकी हाँकी से ऐसे गोल निकलते थे, जिनका जवाब नहीं। उन्होंने तीन बार ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता- 1948, 1952 तथा 1956 में। वह पंजाब सरकार में खेलों के निदेशक भी रहे। मोगा में एक इनडोर स्टेडियम का नाम उनके नाम पर रखा गया है। बलबीर सिंह को 1957 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था।

परिचय

बलबीर सिंह का जन्म 10 अक्टूबर, सन 1924 में पंजाब राज्य के जालंधर ज़िले में हरीपुर नामक स्थान पर हुआ था। वह हॉकी के बेहतरीन स्ट्राइकर समझे जाते रहे हैं। वह हॉकी टीम के सेंटर-फारवर्ड खिलाड़ी रहे तथा तीन बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। बलबीर सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा देव समाज स्कूल तथा डी.एम. कॉलेज मोगा में हुई। उन्होंने अमृतसर के खालसा कॉलेज से स्नातक शिक्षा प्राप्त की।[1]

हॉकी टीम का नेतृत्व

बलबीर सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय की हॉकी टीम का नेतृत्व किया। 1945 में अन्तर-विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में बलबीर सिंह के नेतृत्व में पंजाब विश्वविद्यालय की टीम ने विजय प्राप्त की। जल्दी ही उनका पंजाब पुलिस में चयन हो गया। वह पंजाब पुलिस हॉकी टीम के सदस्य रहे और 1948 से 1960 के बीच अनेकों बार उनके नेतृत्व में टीम ने देश-भर में विजय प्राप्त की। उन्होंने पंजाब राज्य की उस टीम का नेतृत्व किया जिसने 1949 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती थी।

बलबीर सिंह को पहली बार 1947 में भारतीय टीम में शामिल किया गया। तब उन्होंने भारत को श्रीलंका के खिलाफ विजय दिलाई। 1950 में अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ तथा सिंगापुर के खिलाफ तथा 1954 में मलेशिया के खिलाफ भारतीय टीम का नेतृत्व करते हुए उन्होंने टीम को विजय दिलाई। वह ‘इंडिया वंडर्स’ टीम के भी सदस्य थे। इस टीम ने न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर तथा श्रीलंका के खिलाफ 1955 में अनेक मैच खेले।

'पद्मश्री' से सम्मानित

1958 में हॉकी को टोकियो एशियाई खेलों में शामिल किया गया। तब बलबीर सिंह ने ही भारतीय टीम का नेतृत्व किया। बलबीर सिंह ने तीन ओलंपिक खेलों में भाग लिया- 1948 में लंदन में, 1952 में हेलसिंकी में तथा 1956 में मेलबर्न में। हेलसिंकी में बलबीर सिंह ने भारतीय टीम की कप्तानी की और 13 में से 9 गोल उन्होंने स्वयं लगाए। मेलबर्न में भी पाकिस्तान के विरुद्ध 1956 में भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता। उनकी इन्हीं उपलब्धियों के कारण उन्हें 1957 में ‘पद्मश्री’ से अलंकृत किया गया।

कोच तथा मैनेजर

बलबीर सिंह ने जब हॉकी से खिलाड़ी के रूप में संन्यास लिया, तब उनकी मांग कोच तथा मैनेजर के रूप में होने लगी। 1962 में अहमदाबाद में अन्तरराष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता, बलबीर सिंह उस टीम के मैनेजर थे। उनके मैनेजर रहने पर भारतीय टीम ने निम्न अवसरों पर विजय प्राप्त की[1]-

  1. 1970 में बैंकाक एशियाई खेलों में रजत पदक जीता।
  2. 1971 में बार्सिलोना में विश्व हॉकी कप में कांस्य पदक जीता।
  3. 1982 में विश्व टूर्नामेंट, एम्सटरडम में टीम ने कांस्य पदक जीता।
  4. 1982 में दिल्ली में हुए एशियाई खेलों में टीम ने रजत पदक जीता।

जब भारतीय टीम ने 1975 में कुआलालंपुर में थर्ड वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता, तब बलबीर सिंह भारतीय टीम के मैनेजर, कोच तथा टीम के मुख्य चयनकर्ता थे। इस टूर्नामेंट में भारत ने 11 वर्ष बाद स्वर्ण पदक जीता था, जिसका श्रेय बलबीर सिंह को जाता है। 1982 में मेलबर्न में एसांडा वर्ल्ड कप खेलने के वक्त भी भारतीय टीम के मैनेजर बलबीर सिंह थे। उन्हें अनेक बार उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया।

मुख्य अतिथि

thumb|250px|लंदन ओलम्पिक-1948 में ब्रिटेन के विरुद्ध खेलते बलबीर सिंह 1974 में वाशिगंटन में केनेडी मेमोरियल इन्टरनेशनल हॉकी टूर्नामेंट में बलबीर सिंह को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। उसके छह वर्ष पश्चात् 1980 में मास्को ओलंपिक में उन्हें सम्मानित अतिथि के रूप में बुलाया गया। दिल्ली में 1982 में हुए एशियाई खेलों की मशाल बलबीर सिंह ने ही प्रज्जवलित की थी।

खेल निदेशक

बलबीर सिंह 'पंजाब राज्य खेल परिषद' के सेक्रेटरी रहे तथा 1982 में रिटायर होने तक वह पंजाब सरकार के खेल निदेशक के पद पर कार्य करते रहे। मोगा (पंजाब) में एक इन्डोर स्टेडियम का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है। ध्यानचंद की भांति उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है, जिसका नाम है– ‘द गोल्डन हैट ट्रिक’।[1]

उपलब्धियां

  1. बलबीर सिंह ने तीन बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इन तीनों ओलंपिक (लदंन 1948, हेलसिंकी 1952, मेलबर्न 1956) में भारत ने स्वर्ण पदक जीता।
  2. वह पंजाब विश्वविद्यालय टीम के कप्तान रहे।
  3. उन्होंने पंजाब राज्य की टीम का भी नेतृत्व किया।
  4. बलबीर सिंह की कप्तानी में भारतीय टीम ने 1950 में अफगानिस्तान के तथा 1954 में सिंगापुर व मलेशिया के विरुद्ध विजय प्राप्त की।
  5. 1958 में टोकियो एशियाई खेलों में बलबीर सिंह भारतीय टीम के कप्तान रहे।
  6. उनके टीम मैनेजर रहते हुए भारतीय टीम की विजय का रिकार्ड स्वर्ण- 1962-अहमदाबाद (इन्टरनेशनल हॉकी टूर्नामेंट), रजत-1970, बैंकाक (एशियाई खेल), कास्यं-1971 -बर्सिलोना (वर्ल्ड हॉकी कप), कास्यं-1982-एम्सटरडम (वर्ल्ड टूर्नामेंट), रजत-1982-दिल्ली (एशियाई खेल)।
  7. 1975 में थर्ड वर्ल्ड कप टूर्नामेंट, कुआलालंपुर में भारतीय टीम ने स्वर्ण जीता, तब टीम के मैनेजर, कोच ब मुख्य चयनकर्ता बलबीर सिंह थे।
  8. वह ‘पंजाब स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल’ के सेक्रेटरी रहे।
  9. वह 1982 में रिटायरमेंट तक पंजाब सरकार के खेल निदेशक रहे।
  10. 1957 में बलबीर सिंह को ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया।
  11. मोगा में उनके नाम पर स्टेडियम का नाम रखा गया है।
  12. बलबीर सिंह ने ‘द गोल्डन हैट ट्रिक’ नामक पुस्तक भी लिखी है।[1]


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टीका-टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 धनराज पिल्लै का जीवन परिचय (हिन्दी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 22 सितम्बर, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

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