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'''बुला चौधरी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bula Choudhury'', जन्म- [[2 जनवरी]], [[1970]], [[कलकत्ता]]), भारतीय महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पांचो [[महाद्वीप]] के सातों समुद्र तैर कर पार किए हैं और उन पर अपनी जीत हासिल की है। बुला चौधरी को ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें ‘जल परी’ की उपाधि दी जा चुकी है। [[2003]] में उन्हें ‘ध्यानचंद लाइफटाइम एचीवमेंट’ अवॉर्ड भी दिया गया है। वह सुर्खियों में तब आईं, जब उन्होंने मात्र 9 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीत ली। उन्होंने अपनी आयु वर्ग की सभी प्रतियोगिताएं जीत कर एकसाथ छह स्वर्ण पदक जीत लिए।
'''शिव कपूर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shiv Kapur'', जन्म- [[12 फरवरी]] [[1982]], [[दिल्ली]]), यह पहले भारतीय है, जिन्होंंने [[मलेशिया]] का ओपन एमेच्योर चैंपियनशिप मुकाबला जीता था। इन्हे [[भारत]] का दूसरा सर्वश्रेष्ठ 'एमेच्योर गोल्फर' माना जाता है। इनके पिता जी का नाम श्री रवि कपूर है।


==परिचय==
==परिचय==
बुला चौधरी का जन्म 2 जनवरी,1970 को [[कलकत्ता]]) मेंं हुआ था। इनका पूरा नाम बुला चौधरी चक्रवर्ती है। वे एक ऐसी कुशल तैराक हैं, जिन्होंने लम्बी दूरी की तैराकी के साथ-साथ प्रतियोगात्मक तैराकी में भी नाम कमाया है। वह सुर्खियों में तब आईं, जब उन्होंने मात्र 9 [[वर्ष]] की आयु में राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीत ली। उन्होंने अपनी आयु वर्ग की सभी प्रतियोगिताएं जीत कर एकसाथ छह [[स्वर्ण]] पदक जीत लिए। अपने 24 वर्षों के कैरियर में बुला चौधरी सात समुद्र और पांचों महाद्वीपों के जलडमरूमध्य को पार करने वाली विश्व की पहली महिला बन गईं। उन्होंने अपना यह विशिष्ट मुकाम तब पूर्ण किया जब [[24 अगस्त]], [[2004]] को उन्होंने [[श्रीलंका]] में तलाईमन्नार से [[तमिलनाडु]] के घनुष्कोटि तक की पाल्क स्ट्रेट की 40 कि.मी. दूरी 13 घंटे 54 मिनट में तैरकर तय की। उस समय वह 34 वर्ष की थीं। उनकी तैराकी के समय समुद्र बहुत विकराल हो गया था। तेज हवाएं चल रही थीं। एक किलोमीटर तक उन्हें बारिश का भी सामना करना पड़ा।
शिव कपूर का जन्म [[12 फरवरी]] 1982 को [[दिल्ली]] में हुआ था तथा इनके [[पिता]] का नाम श्री रवि कपूर है। इन्हें [[भारत]] का दूसरा सर्वश्रेष्ठ एमेच्योर गोल्फर माना जाता है। यह पहले भारतीय है, जिसने मलेशिया का ओपन एमेच्योर चैंपियनशिप मुकाबला जीता था। शिव माडर्न स्कूल से पढ़ कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने अमेरिका चले गये। वहीं से वह बुसान एशियाई खेलों में भाग लेने पहुंचे। ‘मात्र 8 वर्ष की आयु में उसने [[गॉल्फ़ |गोल्फ]] खेलना शुरू कर दिया,’ ऐसा कहना है उसके पिता जी का। वर्ष 2002 के बुसान एशियाई खेलों में शिव कपूर ने गोल्फ में स्वर्ण पदक जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया।


बुला ने बताया- ”मेरी एक बार प्रधानमंत्री से मुलाकात हुई थी। उन्होंने मुझसे कहा था- ‘यू आर द रोल मॉडल ऑफ इंडियन वुमैन (आप भारतीय महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं)।’ मैं उनके कथन को सदैव याद रखती हूँ और जितना संभव होता है युवा तैराकों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हूँ।”
;चैंपियनशिप
बुसान खेलों के पूर्व शिव 12 बड़े चैंपियनशिप मुकाबले जीत चुका थे, तब उसकी आयु मात्र 19 वर्ष थी। बुसान खेलों के बाद शिव पहले जीत की खुशी अपने परिवार के साथ मनाने भारत आये, फिर [[अमेरिका]] की पेरडू यूनीवर्सिटी के लिए रवाना हो गये, जहां उस वक्त वह शिक्षा ग्रहण कर रहा थे।
[[चित्र:Shiv-Kapur-1.jpg|thumb|250px|शिव कपूर]]
;एशियाड खेल
शिव ने बुसान में लोगों को बताया था कि कैसे लक्ष्मण सिंह से बातचीत का लाभ उसे हुआ। लक्ष्मण ने [[1982]] में एशियाड में [[स्वर्ण]] जीता था, उसके बाद इतने वर्षों बाद भारत को [[गॉल्फ़ |गोल्फ]] में स्वर्णिम कामयाबी मिली। लक्षण ने उनसे एशियाड को किसी और टूर्नामेंट की तरह ही लेने को कहा था और कहा था कि इससे तुम पर दबाव नहीं आएगा। दूसरे दिन तीन ओवर में 75 का खराब स्कोर बनाने के बाद भी लक्ष्मण ने उनका हौंसला बढ़ाया और फिर वह स्वर्णिम मुकाम तक पहुंचे।<ref>{{cite web |url=https://https://www.kaiseaurkya.com/shiv-kapur-biography-in-hindi-language/|title=शिव कपूर का जीवन परिचय |accessmonthday=2 अक्टूवर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref>


;गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड
शिव एमेच्योर यानी गैर पेशेवर गोल्फर बनना चाहते हैं। अमेरिका के शीर्षस्थ खिलाड़ियों में एक शिव का सपना है कि प्रोफेशनल गोल्फर बनने के बाद वह यू. एस. टूर में खेले।
बुला ने [[1989]] में इंग्लिश चैनल तैर कर पार किया था, फिर अपनी इस तैराकी को दोहराते हुए [[1999]] में पुन: इंग्लिश चैनल पार किया। वह दो बार इंग्लिश चैनल पार करने वाली प्रथम एशियाई महिला बन गईं।


फिर वह लंबी दूरी की तैराकी करने के लिए कमर कस कर तैयार हो गईं। उन्होंने तय किया कि वह लंबी दूरी की तैराकी करके रिकॉर्ड बनाएंगी। उन्होंने अगस्त [[2000]] को जिब्राल्टर जलडमरूमध्य (स्पेन) पार की। उनकी इस तैराकी के वक्त उनके पति तथा कोच संजीव चक्रवर्ती तथा दस वर्षीय पुत्र सर्बूजी भी उनके साथ कोलंबो आए थे। बुला चौधरी के अनुसार ”यह तैराकी सातों समुद्रों में सबसे कठिन थी, सभी भारतीयों की शुभकामनाओं से मैं यह दूरी पार कर सकी और ‘गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में स्थान पा सकी।” उनकी इस तैराकी हो सहारा इंडिया ने स्पांसर किया था।
[[2001]] में इटली का तिरानियन समुद्र पार किया। फिर [[2002]] में ही उन्होंने अमेरिका में केटेलिना चैनल पार किया। 2003 में उन्होंने न्यूजीलैंड में कुक्स जलडमरूमध्य पार किया।
==पुरस्कार==
[[1990]] में बुला चौधरी को ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ से सम्मानित किया गया। उन्हें ‘जलपरी’ की उपाधि भी दी गई है।
;जिब्राल्टर जलडमरूमध्य विजेता
बुला चौधरी ने जिब्राल्टर जलडमरूमध्य को तैर कर रिकॉर्ड समय में पार किया था। इसे उन्होंने 3 घंटे 35 मिनट के रिकॉर्ड समय में पार कर लिया था जो आज भी एक विश्व रिकॉर्ड है। जिब्राल्टर स्ट्रेट स्पेन से मोरक्को तक है, जिसकी दूरी 20 किलोमीटर है।
[[जुलाई]] [[2002]] में बुला ने ग्रीस का टोरोनोज गल्फ पार किया जिसकी दूरी 26 किलोमीटर थी। ग्रीस का छोटा शहर मैसीडोनिया के पास निकिती चाकिडिंको से तैराकी शुरू करके कसान्ड्रा तक की दूरी उन्होंने 8 घंटे 11 मिनट में पूरी की। यह सात समुद्र पार करने के स्वप्न में चौथी तैराकी थी। वह अपने साथ तैरने वाले 29 तैराकों में से सातवें स्थान पर रहीं। मौसम और हवाओं की बाधा को पार करते हुए उन्होंने यह दूरी तय की थी।
बुला चौधरी दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन के पास थी एंकरस बे से रोबिन आईलैंड पार करने वाली प्रथम भारतीय महिला थीं, जिन्होंने पांचों महाद्वीपों के समुन्द्र पार किए। उन्होंने ठंडे अन्टार्कटिका पानी में 30 किलोमीटर की दूरी 3 घंटे 26 मिनट में पूरी करके एक नया कीर्तिमान कायम किया। वह इस दूरी को पार करने वाली न सिर्फ प्रथम एशियाई महिला थीं बल्कि इतने कम समय में पार करने वाली पहली महिला थीं। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के समुद्र की यह तैराकी सुबह 10 बजे शुरू करके दोपहर 1:26 पर समाप्त कर दी। उन्होंने शार्क मछलियों से भरे इस अन्टार्कटिका पानी में पहले से ही तैराकी का अभ्यास किया था। इसी कारण वह इस अति कठिन समझी जाने वाली दूरी को तैर कर पार कर सकीं।<ref>{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/bula-choudhury-biography-in-hindi-language/|title=बुला चौधरी का जीवन परिचय |accessmonthday=28 सितम्बर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref>
==अन्तरराष्ट्रीय स्तर==
बुला ने [[2001]] में इटली का टिरेनियन समुद्र जानन से सैन फेलिस सिसेरो तक पार किया। [[2002]] में ग्रीस का अन्तरराष्ट्रीय टोरोनोज गल्फ पार करने के बाद 2002 में ही अमेरिका के कैटेलिना आईलैण्ड से सैन पैंड्रो की दूरी कैटैलिना चैनल तैर कर पार की। [[2003]] में न्यूजीलैंड की कुक जलडमरूमध्य तैर कर पार की।
[[अगस्त]] [[2004]] में जब बुला ने [[श्रीलंका]] से [[तमिलनाडु]] ([[भारत]]) के बीच की पाल्कस्ट्रेट पार कर ली तब उन्होंने प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा- ”यह रिकॉर्ड बनाकर मेरा स्वप्न पूर्ण हो गया है। श्रीलंका की तरफ से आधी दूरी तक हवाएं और लहरें दोनों ही भारी थीं अत: मुझे काफी चैलेंज का सामना करना पड़ा। धनुष्कोटि के पास पांच किलोमीटर तक इतनी हवा तथा लहरें थीं कि मुझे यह दूरी तय करने में दो घंटे से अधिक का समय लग गया।
”लेकिन जब मैंने अपनी मातृभूमि के किनारों को छुआ तो मैं खुशी से फूली नहीं समा रही थी, मानों मैं दुनिया के ऊपरी सिरे पर पहुंच गई होऊं, लेकिन यह सब मेरे पति व कोच संजीव चक्रवर्ती और मेरे बेटे के सहयोग से पूर्ण हो सका।” उनके पति जो पहले अन्तरराष्ट्रीय तैराक भी रह चुके हैं, का कहना था कि बुला को सफलता इस कारण मिल सकी कि उसने सुबह छह बजे के स्थान पर सुबह 2 बजे तैराकी शुरू की।
==उपलब्धियां==
==उपलब्धियां==
#मात्र 9 वर्ष की आयु में बुला ने राष्ट्रीय तैराकी चैंपियनशिप जीती।
#2002 में बुसान एशियाई खेलों में उन्होंने गोल्फ का स्वर्ण पदक जीता।
#9 वर्ष की आयु में अपने आयु वर्ग के सभी इवेंट जीतकर छह स्वर्ण- पदक प्राप्त किए।
#बुला ने सातों समुद और पांचों महाद्वीप के जलडमरूमध्य पार कर रिकार्ड बनाया है।
#उन्हें ‘जलपरी’ की उपाधि दी गई है।
#उन्होंने जिब्राल्टर जलडमरूमध्य विश्व रिकॉर्ड समय में तैर कर पार किया। उनका समय 3 घंटे 35 मिनट था।
#उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।
#बुला चौधरी को 2002 में तेंन्जिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्ड प्रदान किया गया।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
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{{सूचना बक्सा खिलाड़ी
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|अन्य जानकारी='महेश भूपति' ने 2002 में अलग-अलग जोड़ियों के साथ पांच युगल खिताब जीते और युगल मुकाबले में तीसरे स्थान पर रहा। इस वर्ष अपने कैरियर में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 56 मैच जीते।
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'''शिव कपूर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shiv Kapur'', जन्म- [[12 फरवरी]] [[1982]], [[दिल्ली]]), यह पहले भारतीय है, जिन्होंंने [[मलेशिया]] का ओपन एमेच्योर चैंपियनशिप मुकाबला जीता था। इन्हे [[भारत]] का दूसरा सर्वश्रेष्ठ 'एमेच्योर गोल्फर' माना जाता है। इनके पिता जी का नाम श्री रवि कपूर है।


==परिचय==
'''महेश भूपति''' (अंग्रेज़ी: ''Mahesh Bhupathi'', जन्म- [[7 जून]] [[1974]], बेंगलोर (कर्नाटक)), भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने [[टेनिस]] में लिएडर पेस के साथ युगल मुकाबलों में शानदार सफलता अर्जित की है। इनका पूरा नाम महेश श्रीनिवास भूपति है। भूपति को [[1996]] में ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ दिया गया तथा [[26 मार्च]], [[2001]] को लिएंडर पेस के साथ [[भारत सरकार]] द्वारा [[पद्मश्री]] सम्मान प्रदान किया गया।
शिव कपूर का जन्म [[12 फरवरी]] 1982 को [[दिल्ली]] में हुआ था तथा इनके [[पिता]] का नाम श्री रवि कपूर है। इन्हें [[भारत]] का दूसरा सर्वश्रेष्ठ एमेच्योर गोल्फर माना जाता है। यह पहले भारतीय है, जिसने मलेशिया का ओपन एमेच्योर चैंपियनशिप मुकाबला जीता था। शिव माडर्न स्कूल से पढ़ कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने अमेरिका चले गये। वहीं से वह बुसान एशियाई खेलों में भाग लेने पहुंचे। ‘मात्र 8 वर्ष की आयु में उसने [[गॉल्फ़ |गोल्फ]] खेलना शुरू कर दिया,’ ऐसा कहना है उसके पिता जी का। वर्ष 2002 के बुसान एशियाई खेलों में शिव कपूर ने गोल्फ में स्वर्ण पदक जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया।
 
== परिचय ==
महेश भूपति का जन्म 7 जून, [[1974]], को [[बेंगलोर]] ([[कर्नाटक]])), में हुआ था। इनका पूरा नाम 'महेश श्रीनिवास भूपति' है। भूपति ने टेनिस में लिएडर पेस के साथ युगल मुकाबलों में शानदार सफलता अर्जित की है। इनके पिता जी का नाम 'सी. जी. के. भूपति' है। दाहिने हाथ के इस खिलाड़ी की लम्बाई 6 फुट दो इंच है। उसका निवास मस्कट, ओमान तथा भारत में बैगलोर है। टेनिस का खेल उनके परिवार के लिए कोई नया नहीं है। महेश के पिता जी टेनिस के खिलाड़ी और डेविस कप टीम के सदस्य रह चके है। भूपति के कोच एनरिको पिपनो हैं। इनको बम्बईया फिल्में देखना बहुत पसन्द है तथा वह फिल्मों की डी.वी.डी अपने साथ लेकर चलते है। महेश भूपति का पूरा नाम महेश श्रीनिवास भूपति है। उसकी रैंक युगल युगल खेल में नम्बर 1 है। उसके शौक नेट-सर्फिंग और क्रिकेट खेलना है। उसने वर्ष [[2002]] में मॉडल श्वेता जयशंकर से विवाह कर लिया।
 
यह कहना गलत नहीं होगा कि कलकत्ता की तेजी (लिएंडर पेस) और बेंगलूर ताकत (महेश भूपति) के मिलते ही [[टेनिस]] की दुनिया में धमाल हो गया और जोड़ी ने [[1999]] में दुनिया की हर जोड़ी के छक्के छुड़ा दिए।
लिएंडर ने [[1996]] में भूपति के साथ युगल वर्ग का ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने की भविष्यवाणी की थी, तब उसका अच्छा-खासा मजाक बनाया गया और उसे छोटा मुंह बड़ी बात कहा गया क्योंकि उस समय इनकी जोड़ी विश्व क्रम में 80 वें क्रम पर थी। परन्तु दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और सफलता के शिखर पर चढ़ते चले गए।
 
;फ्रेंच व विंबलडन खिताब
इसके पूर्व किसी भारतीय जोड़ी का एक या दो चक्र जीतना ही बहुत बड़ी बात समझी जाती थी। परन्तु लिएंडर और महेश भूपति की जोड़ी ने आठ ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंटों में से सात के सेमीफाइनल में प्रवेश किया, फिर उसके बाद पेस की कही बात सच साबित हुई जब इस युगल जोड़ी ने [[1999]] के फ्रेंच व विंबलडन खिताब जीते। ग्रैंड स्लैम के पहले पड़ाव आस्ट्रेलियाई ओपन में भी वह फाइनल में कड़े संघर्ष में हारी।
महेश भूपति के बारे में कहा जाता है कि वह लिंएडर पेस के विपरीत अन्तर्मुखी व संवेदनशील इंसान हैं। उस में जबर्दस्त पेशेवर परिपक्वता है।
 
उसने ऑल अमेरिका का एकल व युगल खिताब 1995 में जीता। अली हमदेह के साथ जोड़ी बनाकर [[1995]] में एन.सी.सी.ए. की युगल चैंपियनशिप जीती। तब उसने युगल खिलाड़ी के रूप में नं. 1 तथा एकल खिलाड़ी के रूप में नं. 3 रैंक पाई। वह भारतीय डेविस कप टीम का 1995 से ही सदस्य है।
==पुरस्कार==
1996 में उसे ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया। 26 मार्च, 2001 को महेश भूपति को लिएंडर पेस के साथ भारत सरकार द्वारा पद्‌मश्री सम्मान प्रदान किया गया।
 
;महेश भूपति और लिएंडर पेस की जोड़ी
 
महेश भूपति और लिएंडर पेस की जोड़ी समय-समय पर टूटती रही है। वर्ष 2004 में एथेंस में होने वाले ओलंपिक में इस जोड़ी ने पुन-युगल रूप में खेला था। महेश भूपति ने अपने कैरियर में 23 मैच हारे हैं। वह 16,29,993 अमेरिकी डालर इनाम में प्राप्त कर चुका हैं। युगल खेलों में वर्ष 2004 में उसने 22,700 अमेरिकी डालर जीते हैं।


;चैंपियनशिप
;एशियन खेल
बुसान खेलों के पूर्व शिव 12 बड़े चैंपियनशिप मुकाबले जीत चुका था, तब उसकी आयु मात्र 19 वर्ष थी। बुसान खेलों के बाद शिव पहले जीत की खुशी अपने परिवार के साथ मनाने भारत आये, फिर [[अमेरिका]] की पेरडू यूनीवर्सिटी के लिए रवाना हो गये, जहां उस वक्त वह शिक्षा ग्रहण कर रहा थे।
भूपति ने पिछले एशियन खेलों में युगल मुकाबले में स्वर्ण पदक जीता था। 2004 में होने वाले एथेंस ओलंपिक में पुन: लिएंडर पेस के साथ जोड़ी के रूप में खेलने का निर्णय लिया। एथेंस ओलंपिक में लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी से भारत को पदक की बहुत आशा थी। ऐसा अनुमान था कि वे पेस के पिछले व्यक्तिगत पदक कांस्य से ऊपर रजत या स्वर्ण पदक जीतकर लौटेंगे। लेकिन अंत में भारत के हाथ निराशा ही लगी। यह जोड़ी ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहीं।
[[चित्र:Shiv-Kapur-1.jpg|thumb|250px|शिव कपूर]]
;एशियाड खेल
शिव ने बुसान में लोगों को बताया था कि कैसे लक्ष्मण सिंह से बातचीत का लाभ उसे हुआ। लक्ष्मण ने [[1982]] में एशियाड में [[स्वर्ण]] जीता था, उसके बाद इतने वर्षों बाद भारत को [[गॉल्फ़ |गोल्फ]] में स्वर्णिम कामयाबी मिली। लक्षण ने उनसे एशियाड को किसी और टूर्नामेंट की तरह ही लेने को कहा था और कहा था कि इससे तुम पर दबाव नहीं आएगा। दूसरे दिन तीन ओवर में 75 का खराब स्कोर बनाने के बाद भी लक्ष्मण ने उनका हौंसला बढ़ाया और फिर वह स्वर्णिम मुकाम तक पहुंचे।<ref>{{cite web |url=https://https://www.kaiseaurkya.com/shiv-kapur-biography-in-hindi-language/|title=शिव कपूर का जीवन परिचय |accessmonthday=2 अक्टूवर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref>


शिव एमेच्योर यानी गैर पेशेवर गोल्फर बनना चाहते हैं। अमेरिका के शीर्षस्थ खिलाड़ियों में एक शिव का सपना है कि प्रोफेशनल गोल्फर बनने के बाद वह यू. एस. टूर में खेले।
सदाबहार खिलाड़ी सितारे महेश भूपति और लिएंडर पेस ने वर्ष [[2006]] में टेनिस कोर्ट पर कामयाबी का शानदार इतिहास लिख डाला। दिसंबर 2006 मे दोहा में हुए एशियाई खेलों में इन दोनों ने पुरुष डबल्स जीतकर अपने प्रशंसकों से वाहवाही लूटी। 2006 में महेश भूपति ने मार्टिना हिंगिस के साथ मिलकर आस्ट्रेलियन ओपन में मिक्सड डबल्स का खिताब जीता। यह महेश भूपति के कैरियर का छठा मिक्सड डबल्स खिताब था।
;मलेशियन सेटेलाइट प्रतियोगिता
महेश ने 1991 में भारत का प्रतिनिधित्व किया 1992 की विबंलडन जूनियर डबल्स चैंपियनशिप में वह फाइनल में पहुंचे। इसी वर्ष उस चीनी ब मलेशियन सेटेलाइट प्रतियोगिता जीती।


==उपलब्धियां==
==उपलब्धियां==
#2002 में बुसान एशियाई खेलों में उन्होंने गोल्फ का स्वर्ण पदक जीता।
#1994 में अमेरिकन कालिजस्ट टूर्नामेंट जीता। उसी वर्ष इण्डोनेशियन ओपन की एकल चैंपियनशिप जीती। 1994 व 1995 में वह राष्ट्रीय चैंपियन बने। 1995 में डेविस कप में हांगकाग के विरुद्ध खेला।
#1995 में अरूबा चैलेंजर में पेस के साथ युगल खिताब जीता।
#1996 में पांच चैलेंजर युगल खिताब जीते।
#1997 में जापान की राकी हिराकी के साथ फ्रेंच ओपन जीतने के साथ अपना ग्रैंड स्लैम का खिताबी सफर शुरू किया।
#1997 में पेस के साथ खेलते हुए सात में छह ए. टी. सी. युगल खिताब पर कब्जा किया। जिससे इस युगल ने ए. टी. पी. विश्व डबल्स कप के लिए क्वालीफाई कर लिया। फाइनल में हार लीच स्टार्क से और टीम रैकिंग में पेस के साथ चौथे नम्बर पर रहे तथा एकल रैंकिंग में 11वें नम्बर पर रहे।
#1997 में ही रोलैन्ड गैरर्स में मिश्रित युगल खिताब जीता। चिली की सिबर्सरीन को हरा कर भारत को डेविस कप में 3-2 से विजय दिलाई।
#1998 में लॉस एंजोलिस में युगल चैंपियनशिप जीती।
#1998 में 98 विश्व ग्रुप में 6-2 के रिकार्ड के साथ युगल
मुकाबले में फाइनल में पहुंचे और ए. टी. पी. विश्व युगल चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया।
#1999 का वर्ष उनके कैरियर का सर्वश्रेष्ठ वर्ष रहा जिसमें उन्होंने 1999 में तीन युगल खिताब जीते जिसमें रोलैण्ड गैरोस और विबंलडन शामिल है। इस वर्ष लिएंडर व भूपति की जोड़ी भारत की पहली जोड़ी बनी जो चारों ग्रैंड स्लैम मुकाबलों के फाइनल में पहुंची। 26 अप्रैल को इस जोड़ी की रैकिंग में नम्बर एक स्थान मिला। इस जोड़ी ने फ्रेंच व विबंलडन खिताब भी जीता।
#1999 में ही यह जोड़ी यू. एस. ओपन व आस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में पहुंची। यह जोड़ी ए. टी. पी. वर्ल्ड  चैंपियनशिप के में फाइनल में हार गई।
#1999 के नवम्बर माह में भूपति की कंधे की सर्जरी की गई। बड़े-बड़े मुकाबले जीतने के कारण इस जोडी को 6,18,004 डालर की राशि पुरस्कार में मिली।
कंधे की सर्जरी के बाद 2000 में दो युगल खिताब जीते। सेंट पोयल्टन क्राट्‌जमैन के साथ व टोक्यो में पेस के साथ जोड़ी बनाकर खिताब जीते। 2000 में डबल्स चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे।
#2001 में 6 डबल्स के फाइनल में 4 मुकाबले जीते। ए.टी.पी. टीम मुकाबले में चौथे नंबर पर रही। इंडियन पोलिस मुकाबले में भूपति फाइनल में पहुंचे।
#2001 में बार रोडलैंड गैरोस खिताब जीता और तीसरा ग्रैंड स्लैम युगल खिताब हासिल किया। मास्को, बेसेल और टी एम एस पेरिस मुकाबलों में फाइनल तक पहुंचा।
#2002 में अलग-अलग जोड़ियों के साथ पांच युगल खिताब जीते और युगल मुकाबले में तीसरे स्थान पर रहा। इस वर्ष अपने कैरियर में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 56 मैच जीते। इस वर्ष उसके साथ अधिकाशंत: मैक्स मिरनी की जोड़ी रही। यह जोड़ी ए.टी.पी. युगल मुकाबलों में पांचवें स्थान पर रही।
#2002 में यू.एस. ओपन व विंबलडन ख़िताब जीते। चेन्नै और भलोर्का के ख़िताब पेस के साथ जोड़ी बना कर जीते।
#2002 में टी.एम.एस. हैम्बर्ग ख़िताब जीता। इसी वर्ष अपने कैरियर का तीसरा ग्रैंड स्लैम विंबलडन में मिश्रित युगल में जीता।
#2003 में कनाडा टी.एम.एस., मैड्रिड टी.एम.एस., मोंटी कार्लो टी.एम.एस. मास्को खिताबों पर विजय प्राप्त की।
#2004 में रोम टी.एम.एस. आकलैंड व दुबई के ख़िताब भूपति जीत चुका है।
जनवरी 2006 में महेश भूपति ने स्विट्ज़रलैंड की मार्टिना हिंगिस के साथ आस्ट्रेलियन ओपन टेनिस में मिश्रित युगल फाइनल जीत लिया और इस प्रकार वह अपने कैरियर का #10वां ग्रैंड स्लैम ख़िताब हासिल करने में सफल रहे। यह भूपति का छठा और लगातार तीसरा ग्रैंड स्लैम मिश्रित युगल ख़िताब था। वर्ष 2005 में भूपति ने यू एस ओपन ख़िताब जीता था।
#सितम्बर 2006 में महेश ने बीजिंग ओपन का युगल ख़िताब जीता। उसने फ़्रोएशिया के मारियो एंविच के साथ युगल वर्ग में 4 लाख 75 हजार अमेरिकी डालर की बीजिंग ओपन ए.टी.पी. टेनिस प्रतियोगिता में खिताबी जीत हासिल की।
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दीपिका
पूरा नाम शिव कपूर
जन्म 12 फरवरी 1982
जन्म भूमि दिल्ली
अभिभावक श्री रवि कपूर
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र गोल्फ
विद्यालय पेरडू यूनीवर्सिटी, (अमेरिका)
पुरस्कार-उपाधि एशियाई खेल’ (2002)
प्रसिद्धि भारतीय गोल्फर
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी 'शिव कपूर' ने वर्ष 2002 में बुसान एशियाई खेलों में गोल्फ में स्वर्ण पदक जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया था।

शिव कपूर (अंग्रेज़ी: Shiv Kapur, जन्म- 12 फरवरी 1982, दिल्ली), यह पहले भारतीय है, जिन्होंंने मलेशिया का ओपन एमेच्योर चैंपियनशिप मुकाबला जीता था। इन्हे भारत का दूसरा सर्वश्रेष्ठ 'एमेच्योर गोल्फर' माना जाता है। इनके पिता जी का नाम श्री रवि कपूर है।

परिचय

शिव कपूर का जन्म 12 फरवरी 1982 को दिल्ली में हुआ था तथा इनके पिता का नाम श्री रवि कपूर है। इन्हें भारत का दूसरा सर्वश्रेष्ठ एमेच्योर गोल्फर माना जाता है। यह पहले भारतीय है, जिसने मलेशिया का ओपन एमेच्योर चैंपियनशिप मुकाबला जीता था। शिव माडर्न स्कूल से पढ़ कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने अमेरिका चले गये। वहीं से वह बुसान एशियाई खेलों में भाग लेने पहुंचे। ‘मात्र 8 वर्ष की आयु में उसने गोल्फ खेलना शुरू कर दिया,’ ऐसा कहना है उसके पिता जी का। वर्ष 2002 के बुसान एशियाई खेलों में शिव कपूर ने गोल्फ में स्वर्ण पदक जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया।

चैंपियनशिप

बुसान खेलों के पूर्व शिव 12 बड़े चैंपियनशिप मुकाबले जीत चुका थे, तब उसकी आयु मात्र 19 वर्ष थी। बुसान खेलों के बाद शिव पहले जीत की खुशी अपने परिवार के साथ मनाने भारत आये, फिर अमेरिका की पेरडू यूनीवर्सिटी के लिए रवाना हो गये, जहां उस वक्त वह शिक्षा ग्रहण कर रहा थे। thumb|250px|शिव कपूर

एशियाड खेल

शिव ने बुसान में लोगों को बताया था कि कैसे लक्ष्मण सिंह से बातचीत का लाभ उसे हुआ। लक्ष्मण ने 1982 में एशियाड में स्वर्ण जीता था, उसके बाद इतने वर्षों बाद भारत को गोल्फ में स्वर्णिम कामयाबी मिली। लक्षण ने उनसे एशियाड को किसी और टूर्नामेंट की तरह ही लेने को कहा था और कहा था कि इससे तुम पर दबाव नहीं आएगा। दूसरे दिन तीन ओवर में 75 का खराब स्कोर बनाने के बाद भी लक्ष्मण ने उनका हौंसला बढ़ाया और फिर वह स्वर्णिम मुकाम तक पहुंचे।[1]

शिव एमेच्योर यानी गैर पेशेवर गोल्फर बनना चाहते हैं। अमेरिका के शीर्षस्थ खिलाड़ियों में एक शिव का सपना है कि प्रोफेशनल गोल्फर बनने के बाद वह यू. एस. टूर में खेले।

उपलब्धियां

  1. 2002 में बुसान एशियाई खेलों में उन्होंने गोल्फ का स्वर्ण पदक जीता।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शिव कपूर का जीवन परिचय (हिंदी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 2 अक्टूवर, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख











दीपिका
पूरा नाम महेश श्रीनिवास भूपति
जन्म 7 जून 1974,
जन्म भूमि बेंगलोर (कर्नाटक)
अभिभावक सी. जी. के. भूपति
पति/पत्नी श्वेता जयशंकर
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र टेनिस
पुरस्कार-उपाधि 'अर्जुन पुरस्कार' (1996), 'पद्मश्री' (2001), अमेरिकन कालिजस्ट टूर्नामेंट, 1994,
प्रसिद्धि टेनिस
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख कर्णम मल्लेश्वरी
कोच एनरिको पिपनो
अन्य जानकारी 'महेश भूपति' ने 2002 में अलग-अलग जोड़ियों के साथ पांच युगल खिताब जीते और युगल मुकाबले में तीसरे स्थान पर रहा। इस वर्ष अपने कैरियर में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 56 मैच जीते।

महेश भूपति (अंग्रेज़ी: Mahesh Bhupathi, जन्म- 7 जून 1974, बेंगलोर (कर्नाटक)), भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने टेनिस में लिएडर पेस के साथ युगल मुकाबलों में शानदार सफलता अर्जित की है। इनका पूरा नाम महेश श्रीनिवास भूपति है। भूपति को 1996 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया तथा 26 मार्च, 2001 को लिएंडर पेस के साथ भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया।

परिचय

महेश भूपति का जन्म 7 जून, 1974, को बेंगलोर (कर्नाटक)), में हुआ था। इनका पूरा नाम 'महेश श्रीनिवास भूपति' है। भूपति ने टेनिस में लिएडर पेस के साथ युगल मुकाबलों में शानदार सफलता अर्जित की है। इनके पिता जी का नाम 'सी. जी. के. भूपति' है। दाहिने हाथ के इस खिलाड़ी की लम्बाई 6 फुट दो इंच है। उसका निवास मस्कट, ओमान तथा भारत में बैगलोर है। टेनिस का खेल उनके परिवार के लिए कोई नया नहीं है। महेश के पिता जी टेनिस के खिलाड़ी और डेविस कप टीम के सदस्य रह चके है। भूपति के कोच एनरिको पिपनो हैं। इनको बम्बईया फिल्में देखना बहुत पसन्द है तथा वह फिल्मों की डी.वी.डी अपने साथ लेकर चलते है। महेश भूपति का पूरा नाम महेश श्रीनिवास भूपति है। उसकी रैंक युगल युगल खेल में नम्बर 1 है। उसके शौक नेट-सर्फिंग और क्रिकेट खेलना है। उसने वर्ष 2002 में मॉडल श्वेता जयशंकर से विवाह कर लिया।

यह कहना गलत नहीं होगा कि कलकत्ता की तेजी (लिएंडर पेस) और बेंगलूर ताकत (महेश भूपति) के मिलते ही टेनिस की दुनिया में धमाल हो गया और जोड़ी ने 1999 में दुनिया की हर जोड़ी के छक्के छुड़ा दिए। लिएंडर ने 1996 में भूपति के साथ युगल वर्ग का ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने की भविष्यवाणी की थी, तब उसका अच्छा-खासा मजाक बनाया गया और उसे छोटा मुंह बड़ी बात कहा गया क्योंकि उस समय इनकी जोड़ी विश्व क्रम में 80 वें क्रम पर थी। परन्तु दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और सफलता के शिखर पर चढ़ते चले गए।

फ्रेंच व विंबलडन खिताब

इसके पूर्व किसी भारतीय जोड़ी का एक या दो चक्र जीतना ही बहुत बड़ी बात समझी जाती थी। परन्तु लिएंडर और महेश भूपति की जोड़ी ने आठ ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंटों में से सात के सेमीफाइनल में प्रवेश किया, फिर उसके बाद पेस की कही बात सच साबित हुई जब इस युगल जोड़ी ने 1999 के फ्रेंच व विंबलडन खिताब जीते। ग्रैंड स्लैम के पहले पड़ाव आस्ट्रेलियाई ओपन में भी वह फाइनल में कड़े संघर्ष में हारी। महेश भूपति के बारे में कहा जाता है कि वह लिंएडर पेस के विपरीत अन्तर्मुखी व संवेदनशील इंसान हैं। उस में जबर्दस्त पेशेवर परिपक्वता है।

उसने ऑल अमेरिका का एकल व युगल खिताब 1995 में जीता। अली हमदेह के साथ जोड़ी बनाकर 1995 में एन.सी.सी.ए. की युगल चैंपियनशिप जीती। तब उसने युगल खिलाड़ी के रूप में नं. 1 तथा एकल खिलाड़ी के रूप में नं. 3 रैंक पाई। वह भारतीय डेविस कप टीम का 1995 से ही सदस्य है।

पुरस्कार

1996 में उसे ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया। 26 मार्च, 2001 को महेश भूपति को लिएंडर पेस के साथ भारत सरकार द्वारा पद्‌मश्री सम्मान प्रदान किया गया।

महेश भूपति और लिएंडर पेस की जोड़ी

महेश भूपति और लिएंडर पेस की जोड़ी समय-समय पर टूटती रही है। वर्ष 2004 में एथेंस में होने वाले ओलंपिक में इस जोड़ी ने पुन-युगल रूप में खेला था। महेश भूपति ने अपने कैरियर में 23 मैच हारे हैं। वह 16,29,993 अमेरिकी डालर इनाम में प्राप्त कर चुका हैं। युगल खेलों में वर्ष 2004 में उसने 22,700 अमेरिकी डालर जीते हैं।

एशियन खेल

भूपति ने पिछले एशियन खेलों में युगल मुकाबले में स्वर्ण पदक जीता था। 2004 में होने वाले एथेंस ओलंपिक में पुन: लिएंडर पेस के साथ जोड़ी के रूप में खेलने का निर्णय लिया। एथेंस ओलंपिक में लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी से भारत को पदक की बहुत आशा थी। ऐसा अनुमान था कि वे पेस के पिछले व्यक्तिगत पदक कांस्य से ऊपर रजत या स्वर्ण पदक जीतकर लौटेंगे। लेकिन अंत में भारत के हाथ निराशा ही लगी। यह जोड़ी ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहीं।

सदाबहार खिलाड़ी सितारे महेश भूपति और लिएंडर पेस ने वर्ष 2006 में टेनिस कोर्ट पर कामयाबी का शानदार इतिहास लिख डाला। दिसंबर 2006 मे दोहा में हुए एशियाई खेलों में इन दोनों ने पुरुष डबल्स जीतकर अपने प्रशंसकों से वाहवाही लूटी। 2006 में महेश भूपति ने मार्टिना हिंगिस के साथ मिलकर आस्ट्रेलियन ओपन में मिक्सड डबल्स का खिताब जीता। यह महेश भूपति के कैरियर का छठा मिक्सड डबल्स खिताब था।

मलेशियन सेटेलाइट प्रतियोगिता

महेश ने 1991 में भारत का प्रतिनिधित्व किया 1992 की विबंलडन जूनियर डबल्स चैंपियनशिप में वह फाइनल में पहुंचे। इसी वर्ष उस चीनी ब मलेशियन सेटेलाइट प्रतियोगिता जीती।

उपलब्धियां

  1. 1994 में अमेरिकन कालिजस्ट टूर्नामेंट जीता। उसी वर्ष इण्डोनेशियन ओपन की एकल चैंपियनशिप जीती। 1994 व 1995 में वह राष्ट्रीय चैंपियन बने। 1995 में डेविस कप में हांगकाग के विरुद्ध खेला।
  2. 1995 में अरूबा चैलेंजर में पेस के साथ युगल खिताब जीता।
  3. 1996 में पांच चैलेंजर युगल खिताब जीते।
  4. 1997 में जापान की राकी हिराकी के साथ फ्रेंच ओपन जीतने के साथ अपना ग्रैंड स्लैम का खिताबी सफर शुरू किया।
  5. 1997 में पेस के साथ खेलते हुए सात में छह ए. टी. सी. युगल खिताब पर कब्जा किया। जिससे इस युगल ने ए. टी. पी. विश्व डबल्स कप के लिए क्वालीफाई कर लिया। फाइनल में हार लीच स्टार्क से और टीम रैकिंग में पेस के साथ चौथे नम्बर पर रहे तथा एकल रैंकिंग में 11वें नम्बर पर रहे।
  6. 1997 में ही रोलैन्ड गैरर्स में मिश्रित युगल खिताब जीता। चिली की सिबर्सरीन को हरा कर भारत को डेविस कप में 3-2 से विजय दिलाई।
  7. 1998 में लॉस एंजोलिस में युगल चैंपियनशिप जीती।
  8. 1998 में 98 विश्व ग्रुप में 6-2 के रिकार्ड के साथ युगल

मुकाबले में फाइनल में पहुंचे और ए. टी. पी. विश्व युगल चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया।

  1. 1999 का वर्ष उनके कैरियर का सर्वश्रेष्ठ वर्ष रहा जिसमें उन्होंने 1999 में तीन युगल खिताब जीते जिसमें रोलैण्ड गैरोस और विबंलडन शामिल है। इस वर्ष लिएंडर व भूपति की जोड़ी भारत की पहली जोड़ी बनी जो चारों ग्रैंड स्लैम मुकाबलों के फाइनल में पहुंची। 26 अप्रैल को इस जोड़ी की रैकिंग में नम्बर एक स्थान मिला। इस जोड़ी ने फ्रेंच व विबंलडन खिताब भी जीता।
  2. 1999 में ही यह जोड़ी यू. एस. ओपन व आस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में पहुंची। यह जोड़ी ए. टी. पी. वर्ल्ड चैंपियनशिप के में फाइनल में हार गई।
  3. 1999 के नवम्बर माह में भूपति की कंधे की सर्जरी की गई। बड़े-बड़े मुकाबले जीतने के कारण इस जोडी को 6,18,004 डालर की राशि पुरस्कार में मिली।

कंधे की सर्जरी के बाद 2000 में दो युगल खिताब जीते। सेंट पोयल्टन क्राट्‌जमैन के साथ व टोक्यो में पेस के साथ जोड़ी बनाकर खिताब जीते। 2000 में डबल्स चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे।

  1. 2001 में 6 डबल्स के फाइनल में 4 मुकाबले जीते। ए.टी.पी. टीम मुकाबले में चौथे नंबर पर रही। इंडियन पोलिस मुकाबले में भूपति फाइनल में पहुंचे।
  2. 2001 में बार रोडलैंड गैरोस खिताब जीता और तीसरा ग्रैंड स्लैम युगल खिताब हासिल किया। मास्को, बेसेल और टी एम एस पेरिस मुकाबलों में फाइनल तक पहुंचा।
  3. 2002 में अलग-अलग जोड़ियों के साथ पांच युगल खिताब जीते और युगल मुकाबले में तीसरे स्थान पर रहा। इस वर्ष अपने कैरियर में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 56 मैच जीते। इस वर्ष उसके साथ अधिकाशंत: मैक्स मिरनी की जोड़ी रही। यह जोड़ी ए.टी.पी. युगल मुकाबलों में पांचवें स्थान पर रही।
  4. 2002 में यू.एस. ओपन व विंबलडन ख़िताब जीते। चेन्नै और भलोर्का के ख़िताब पेस के साथ जोड़ी बना कर जीते।
  5. 2002 में टी.एम.एस. हैम्बर्ग ख़िताब जीता। इसी वर्ष अपने कैरियर का तीसरा ग्रैंड स्लैम विंबलडन में मिश्रित युगल में जीता।
  6. 2003 में कनाडा टी.एम.एस., मैड्रिड टी.एम.एस., मोंटी कार्लो टी.एम.एस. मास्को खिताबों पर विजय प्राप्त की।
  7. 2004 में रोम टी.एम.एस. आकलैंड व दुबई के ख़िताब भूपति जीत चुका है।

जनवरी 2006 में महेश भूपति ने स्विट्ज़रलैंड की मार्टिना हिंगिस के साथ आस्ट्रेलियन ओपन टेनिस में मिश्रित युगल फाइनल जीत लिया और इस प्रकार वह अपने कैरियर का #10वां ग्रैंड स्लैम ख़िताब हासिल करने में सफल रहे। यह भूपति का छठा और लगातार तीसरा ग्रैंड स्लैम मिश्रित युगल ख़िताब था। वर्ष 2005 में भूपति ने यू एस ओपन ख़िताब जीता था।

  1. सितम्बर 2006 में महेश ने बीजिंग ओपन का युगल ख़िताब जीता। उसने फ़्रोएशिया के मारियो एंविच के साथ युगल वर्ग में 4 लाख 75 हजार अमेरिकी डालर की बीजिंग ओपन ए.टी.पी. टेनिस प्रतियोगिता में खिताबी जीत हासिल की।
पन्ने की प्रगति अवस्था
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