गोम्मटसार जीवतत्त्व प्रदीपिका: Difference between revisions

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Revision as of 07:52, 8 March 2011

गोम्मटसार-जीवतत्त्व प्रदीपिका

  • यह टीका केशववर्णी द्वारा रचित है।
  • उन्होंने इसे संस्कृत और कन्नड़ दोनों भाषाओं में लिखा है।
  • जैसे वीरसेन स्वामी ने अपनी संस्कृत प्राकृत मिश्रित धवला टीका द्वारा षट्खंडागम के रहस्यों का उद्घाटन किया है उसी प्रकार केशववर्णी ने भी अपनी इस जीवतत्त्व प्रदीपिका द्वारा जीवकाण्ड के रहस्यों का उद्घाटन कन्नड़ मिश्रित संस्कृत में किया है।
  • केशववर्णी की गणित में अबाध गति थी इसमें जो करणसूत्र उन्होंने दिए हैं वे उनके लौकिक और अलौकिक गणित के ज्ञान को प्रकट करते हैं।
  • इन्होंने अलौकिक गणित संबंधी एक स्वंतत्र ही अधिकार इसमें दिया है, जो त्रिलोक प्रज्ञप्ति और त्रिलोक सार के आधार पर लिखा गया मालूम होता है।
  • आचार्य अकलंक के लघीयस्त्रय और आचार्य विद्यानंद की आप्तपरीक्षा आदि ग्रंन्थों के विपुल प्रमाण इसमें उन्होंने दिए हैं।
  • यह टीका कन्नड़ में होते हुए भी संस्कृत बहुल है।
  • इससे प्रतीत होता है कि जैन आचार्यों में दक्षिण में अपनी भाषा के सिवाय संस्कृत भाषा के प्रति भी विशेष अनुराग रहा है।


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