हरियाणा का भूगोल: Difference between revisions

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Revision as of 10:31, 21 June 2011

हरियाणा में दो बड़े भू-क्षेत्र है, राज्य का एक बड़ा हिस्सा समतल जलोढ़ मैदानों से युक्त है और पूर्वोत्तर में तीखे ढ़ाल वाली शिवालिया पहाड़ियां तथा संकरा पहाड़ी क्षेत्र है। समुद्र की सतह 210 मीटर से 270 मीटर ऊंचे मैदानी इलाकों से पानी बहकर एकमात्र बारहमासी नदी यमुना में आता है, यह राज्य की पूर्वी सीमा से होकर बहती है। शिवालिक पहाड़ियों से निकली अनेक मौसमी नदियां मैदानी भागों से गुज़रती है। इनमें सबसे प्रमुख घग्घर (राज्य की उत्तरी सीमा के निकट) नदी है। ऐसा माना जाता है कि कभी यह नदी सिंधु नदी में मिलती थी, जो अब पाकिस्तान में है। इस नदी के निचले क्षेत्र में आर्य-पूर्व सभ्यता के अवशेस मिलते हैं। इसके अलावा दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुड़गांव ज़िलों में दक्षिण से उत्तर की ओर दिल्ली तक विस्तृत अरावली पर्वत श्रृंखला के भी अवशेष मिलते हैं।

हरियाणा के अधिकांश क्षेत्र में शुष्क और अर्द्ध शुष्क परिस्थितियां हैं। केवल पुर्वोतर में थोड़ी आर्द्रता पाईन जाती है। यद्यपि राज्य में नहर सिंचाई प्रणाली और बड़े पैमाने पर नलकूप हैं। इसके बावजूद यहाँ कुछ अत्यधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र हैं, ख़ासकर दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में, तथापि यमुनाघग्घर नदी की सहायक नदीयों में कभी-कभी बाढ़ भी जाती है। गर्मियों में ख़ुब गर्मी पड़ती है और सर्दियों में ख़ूब सर्दी। गर्मियों में (मई-जून) अधिकतम तापमान 46 डिग्री से। तक पहुंच जाता है। जनवरी में कभी-कभी न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु तक पहुंच जाता है। राज्य के हिसार शहर में सबसे ज़्यादा गर्मी पड़ती है।

पूर्वोतर में पहाड़ के तलहटी वाले क्षेत्र को छोड़कर पूरे राज्य में मिट्टी गहरी व उर्वर है और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान के मरुस्थल से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में ज़मीन रेतीलि है। राज्य के कुल क्षेत्र के 4/5 भाग में खेती होती है और इसमें से लगभग तीन-चौथाई क्षेत्र सिंचित है। यद्यपि राज्य के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी भागों में सिंचाई नलकूपों के ज़रिये होती है, वहीं दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में अधिकांश सिंचाई नहर के ज़रिये होती है। राज्य में वन क्षेत्र नगण्य हैं। राजमार्गों के किनारे और ऊसर ज़मीनों पर यूकलिप्टस के पेड़ उगाए गए हैं। राज्य के उत्तरी भागों में सड़क किनारे आमतौर पर शीशम (डालबर्गिया सिस्सू) के पेड़ पाए जाते हैं, जबकी दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी हरियाणा में कीकर (अकेशिया अरेबिका) के पेड़ व झाड़ियां आमतौर पर मिलती हैं।



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