हर्षचरित: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Adding category Category:प्राचीन महाकाव्य (को हटा दिया गया हैं।))
No edit summary
Line 25: Line 25:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
{{संस्कृत साहित्य2}}
[[Category:संस्कृत_साहित्य]]
[[Category:संस्कृत_साहित्य]]
[[Category:महाकाव्य]]
[[Category:महाकाव्य]]

Revision as of 12:50, 28 June 2011

thumb|हर्षचरित

  • सातवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में संस्कृत गद्य साहित्य के विद्धान सम्राट हर्ष के राजकवि बाणभट्ट द्वारा रचित इस ग्रंथ से हर्ष के जीवन एवं हर्ष के समय में भारत के इतिहास पर प्रचुर प्रकाश पड़ता है।
  • 'हर्षचरित' बाणभट्ट का ऐतिहासिक महाकाव्य है। बाण ने इसे आख्यायिका कहा है।[1]
  • आठ उच्छवासों में विभक्त इस आख्यायिका में बाणभट्ट ने स्थाण्वीश्वर के महाराज हर्षवर्धन के जीवन-चरित का वर्णन किया है।
  • आरंभिक तीन उच्छवासों में बाण ने अपने वंश तथा अपने जीवनवृत्त सविस्तार वर्णित किया है।
  • हर्षचरित की वास्तविक कथा चतुर्थ उच्छवास से आरम्भ होती है।
  • इसमें हर्षवर्धन के वंश प्रवर्तक पुष्पभूति से लेकर सम्राट हर्षवर्धन के ऊर्जस्व चरित्र का उदात्त वर्णन किया गया है।
  • 'हर्षचरित' में ऐतिहासिक विषय पर गद्यकाव्य लिखने का प्रथम प्रयास है।
  • इस ऐतिहासिक काव्य की भाषा पूर्णत: कवित्वमय है।
  • 'हर्षचरित' शुष्क घटना प्रधान इतिहास नहीं, प्रत्युत विशुद्ध काव्यशैली में उपन्यस्त वर्णनप्रधान काव्य है।
  • बाण ने ओज गुण और अलंकारों का सन्निवेश कर एक प्रौढ़ गद्यकाव्य का स्वरूप प्रदान किया है।
  • इसमें वीररस ही प्रधान है। करुणरस का भी यथास्थान सन्निवेश किया गया है।
  • 'हर्षचरित' तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों, सांस्कृतिक परिवेशों और धार्मिक मान्यताओं पर प्रकाश डालता है।
  • अत: ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह महनीय ग्रन्थरत्न काव्य सौन्दर्य, अद्भुत वर्णन चातुर्य के लिए अत्यन्त प्रसिद्ध कृति है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 'करोम्याख्यायिम्भोधौ जिह्वाप्लवनचापलम्

संबंधित लेख