आर्यभट सिद्धांत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

आर्यभट सिद्धांत अथवा आर्य-सिद्धांत महान गणितज्ञ आर्यभट का खगोलीय गणनाओं के ऊपर एक कार्य है। यह ग्रन्थ अब लुप्त हो चुका है और इसके बारे में जो भी जानकारी मिलती है वो या तो आर्यभट के समकालीन वराहमिहिर के लेखनों से अथवा बाद के गणितज्ञों और टिप्पणीकारों जैसे ब्रह्मगुप्त और भास्कर प्रथम आदि के कार्यों और लेखों से। यह कार्य पुराने सूर्य सिद्धांत पर आधारित है और आर्यभटीय के सूर्योदय की अपेक्षा इसमें मध्यरात्रि-दिवस-गणना का उपयोग किया गया है। इस ग्रन्थ में ढेर सारे खगोलीय उपकरणों का भी वर्णन है। इनमें मुख्य हैं शंकु-यन्त्र, छाया-यन्त्र, संभवतः कोण मापी उपकरण, धनुर-यन्त्र / चक्र-यन्त्र, एक बेलनाकार छड़ी यस्ती-यन्त्र, छत्र-यन्त्र और जल घड़ियाँ।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आर्यभटीय (हिंदी) इट्स हिन्दी। अभिगमन तिथि: 19 मार्च, 2018।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः