उदककर्म: Difference between revisions

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Revision as of 09:51, 15 September 2011

  • मृतक के लिए जल दान की क्रिया को उदककर्म कहते हैं।
  • यह कई प्रकार से सम्पन्न होती है।
  • एक मत से सभी सम्बन्धी (7वीं या 10वीं पीढ़ी तक) जल में प्रवेश करते हैं।
  • मृतक के सम्बन्धी केवल एक ही वस्त्र पहने रहते हैं और यज्ञसूत्र उनके दाहिने कन्धे पर लटकता है।
  • यह अपना मुख दक्षिण की ओर करते हैं, मृतक का नाम लेते हुए सभी एक-एक अंजली पानी देते हैं। फिर पानी से बाहर आकर अपने भीगे कपड़े निचोड़ते हैं।
  • स्नान के बाद सम्बन्धी एक साफ़ घास के मैदान में बैठते हैं, जहाँ पर उनका मन बहलाव कथाओं अथवा यम गीतों के द्वारा किया जाता है।
  • घर के द्वार पर वे पिचुमण्ड की पत्ती चबाते हैं, मुख धोते हैं, पानी, अग्नि तथा गोबर आदि का स्पर्श करते हैं, एक पत्थर पर चढ़ते हैं और तब घर में प्रवेश करते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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