मुकेश: Difference between revisions

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Revision as of 08:10, 24 December 2011

मुकेश
पूरा नाम मुकेश चन्द्र माथुर
जन्म 22 जुलाई, 1923
जन्म भूमि दिल्ली, भारत
मृत्यु 27 अगस्त, 1976
संतान नितिन (पुत्र), रीटा और नलिनी (पुत्री)
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र फ़िल्म संगीत (पार्श्वगायक)
पुरस्कार-उपाधि राष्ट्रीय पुरस्कार (1) और फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार (4)

मुकेश अथवा मुकेश चन्द्र माथुर (अंग्रेज़ी: Mukesh अथवा Mukesh Chandra Mathur) (जन्म- 22 जुलाई 1923, दिल्ली भारत; मृत्यु- 27 अगस्त 1976) भारतीय संगीत इतिहास के सर्वश्रेष्‍ठ गायकों में से एक हैं।

जन्म और परिवार

मुकेश का जन्म 22 जुलाई 1923, को दिल्ली, भारत में हुआ था। इनका विवाह सरल के साथ हुआ था। मुकेश और सरल की शादी 1946 में हुई थी। मुकेश के एक बेटा और दो बेटियाँ है जिनके नाम है:- नितिन, रीटा और नलिनी।

कला जगत के क्षेत्र में प्रवेश

मुकेश की आवाज की खूबी को उनके एक दूर के रिश्तेदार मोतीलाल ने तब पहचाना जब उन्होंने उसे अपने बहन की शादी में गाते हुए सुना। मोतीलाल उन्हे बम्बई ले गये और अपने घर में रहने दिया। यही नहीं उन्होंने मुकेश के लिये रियाज़ का पूरा इन्तजाम किया।

अभिनेता के रूप में

बतौर अभिनेता और गायक 1941 में मुकेश ने निर्दोष में काम किया। लोकप्रिय गायक मुकेश ने निर्दोष के अलावा अभिनेता के रूप में माशूका, आह, अनुराग और दुल्‍हन में बतौर अभिनेता काम किया।

पहला गीत

पार्श्व गायक के तौर पर उन्हे अपना पहला काम 1945 में फ़िल्म पहली नज़र में मिला। मुकेश ने हिन्दी फ़िल्म में जो पहला गाना गाया वह था "दिल जलता है तो जलने दे" जिसमें अदाकारी मोतीलाल ने की। इस गीत में मुकेश के आदर्श गायक के. एल. सहगल के प्रभाव का असर साफ साफ नज़र आता है।

दर्द का बादशाह

मुकेश द्वारा गाई गई तुलसी रामायण आज भी लोगों को भक्ति भाव से झूमने को मजबूर कर देती है, क़रीब 200 से अधिक फ़िल्‍मो में आवाज देने वाले मुकेश ने संगीत की दुनिया में अपने आपको दर्द का बादशाह तो साबित किया ही इसके साथ साथ वैश्विक गायक के रूप में अपनी पहचान बनाई। फ़िल्‍मफ़ेयर पुरस्‍कार पाने वाले वह पहले पुरुष गायक थे।

पुरस्कार

  • 1959 फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड - सब कुछ सीखा हमनें (अनाड़ी)
  • 1970 फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड - सबसे बड़ा नादान वही है (पहचान)
  • 1972 फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड - जय बोलो बेइमान की जय बोलो (बेइमान)
  • 1974 नेशनल अवॉर्ड - कई बार यूँ भी देखा है (रजनी गंधा)
  • 1976 फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड - कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है (कभी कभी)

निधन

मुकेश का निधन 27 अगस्त 1976 को दिल का दौरा पड़ने के कारण हुआ था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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