पद्मगुप्त: Difference between revisions
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*पद्मगुप्त ने [[संस्कृत साहित्य]] के सर्वप्रथम ऐतिहासिक [[महाकाव्य]] की रचना की थी। | *पद्मगुप्त ने [[संस्कृत साहित्य]] के सर्वप्रथम ऐतिहासिक [[महाकाव्य]] की रचना की थी। |
Revision as of 09:37, 11 October 2012
पद्मगुप्त धारा नगरी के सिंधुराज के ज्येष्ठ भ्राता और राजा मुंज के आश्रित कवि थे। इनका समय ई. 11वीं शती के लगभग था। पद्मगुप्त के पिता का नाम मृगांकगुप्त था। पद्मगुप्त को ‘परिमल कालिदास’ भी कहा गया है। धनिक व मम्मट ने इन्हें उद्धृत किया है।
- पद्मगुप्त ने संस्कृत साहित्य के सर्वप्रथम ऐतिहासिक महाकाव्य की रचना की थी।
- इस महाकाव्य का नाम ‘नवसाहसाङ्कचरित’ है, और यह इतिहास एवं काव्य दोनों की दृष्टियों से मान्यता प्राप्त है।
- ‘नवसाहसाङ्कचरित’ महाकाव्य के 18 सर्ग हैं, और इसमें सिंधुराज के पूर्वजों अर्थात् परमार वंश के राजाओं का वर्णन प्राप्त होता है।
- पद्मगुप्त की इस कृति पर महाकवि कालिदास के काव्य का प्रभाव परिलक्षित होता है।
- इसकी रचना सन् 1005 के आस-पास हुई थी
- महाकाव्य का हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशन 'चौखम्बा-विद्याभवन' से हो चुका है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 468 |