खोह: Difference between revisions
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'''खोह''' [[मध्य प्रदेश]] में [[नागदा मध्य प्रदेश|नागदा]] के निकट स्थित एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। इस स्थान से [[गुप्त काल|गुप्त कालीन]] ताम्रपत्रों और दानपत्रों पर लिखे [[अभिलेख]] प्राप्त हुए हैं। इन दानपत्र अभिलेखों में [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] एवं मन्दिरों के नाम दान आदि दिये जाने का उल्लेख है। इन अभिलेखों में महाराज हस्तिवर्मन द्वारा गोपस्वामिन व अन्य ब्राह्मणों को ग्राम दान का उल्लेख है। इसकी तिथि 475 ई. है। | '''खोह''' [[मध्य प्रदेश]] में [[नागदा मध्य प्रदेश|नागदा]] के निकट स्थित एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है। इस स्थान से [[गुप्त काल|गुप्त कालीन]] ताम्रपत्रों और दानपत्रों पर लिखे [[अभिलेख]] प्राप्त हुए हैं। इन दानपत्र अभिलेखों में [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] एवं मन्दिरों के नाम दान आदि दिये जाने का उल्लेख है। इन अभिलेखों में महाराज [[हस्तिवर्मन]] द्वारा गोपस्वामिन व अन्य ब्राह्मणों को ग्राम दान का उल्लेख है। इसकी तिथि 475 ई. है। | ||
*एक दूसरे दानपत्र में महाराज हस्तिन द्वारा कोर्पाजन ग्राम के दान में दिए जाने का उल्लेख है, यह दानपत्र 482 ई.का है। | *एक दूसरे दानपत्र में महाराज हस्तिन द्वारा कोर्पाजन ग्राम के दान में दिए जाने का उल्लेख है, यह दानपत्र 482 ई.का है। |
Revision as of 09:42, 11 June 2013
खोह मध्य प्रदेश में नागदा के निकट स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थान से गुप्त कालीन ताम्रपत्रों और दानपत्रों पर लिखे अभिलेख प्राप्त हुए हैं। इन दानपत्र अभिलेखों में ब्राह्मणों एवं मन्दिरों के नाम दान आदि दिये जाने का उल्लेख है। इन अभिलेखों में महाराज हस्तिवर्मन द्वारा गोपस्वामिन व अन्य ब्राह्मणों को ग्राम दान का उल्लेख है। इसकी तिथि 475 ई. है।
- एक दूसरे दानपत्र में महाराज हस्तिन द्वारा कोर्पाजन ग्राम के दान में दिए जाने का उल्लेख है, यह दानपत्र 482 ई.का है।
- तीसरे दानपत्र में 528 ई. में संक्षोभ द्वारा ओपानी ग्राम के पिष्ठपुरी देवी (लक्ष्मी) के मन्दिर को दान का उल्लेख है। इसी लेख में महाराज हस्तिन को डाभाल प्रदेश का शासक बताया गया है।
- जे.एफ.फ्लीट नामक पुरा वैज्ञानिक दानपत्र में उल्लिखित डाभाल को बुन्देलखण्ड से समीकृत किया गया है।
- खोह से ही और भी अन्य कई दानपत्र आदि प्राप्त हुए हैं।
- महाराज जयनाथ और सर्वनाथ के दानपत्र भी उल्लेखनीय हैं।
- इन दानपत्रों से गुप्त कालीन स्थानीय शासन एवं तत्कालीन सामाजिक स्थिति एवं धार्मिक विश्वास पर प्रकाश पड़ता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ