सतपुड़ा बाघ अभयारण्य: Difference between revisions
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सतपुड़ा बाघ अभयारण्य
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विवरण | 'सतपुड़ा बाघ अभयारण्य' मध्य प्रदेश में सतपुड़ा की बीहड़ पहाड़ियों में बसा हुआ है। यह अभयारण्य जैव विविधता से परिपूर्ण है। | ||
राज्य | मध्य प्रदेश | ||
ज़िला | होशंगाबाद | ||
स्थापना | 1981 | ||
कब जाएँ | नवम्बर से जून | ||
रेलवे स्टेशन | पिपरिया, इटारसी | ||
बस अड्डा | पंचमढ़ी | ||
संबंधित लेख | पंचमढ़ी, मध्य प्रदेश | क्षेत्रफल | 2133.30 वर्ग कि.मी. |
विशेष | पचमढ़ी पठार पर स्थित उद्यान में लड़ाई, शिकार, पशु, समारोह और लोगों के दैनिक जीवन के चित्रण वाली 130 से अधिक धूमील गुफ़ाएँ हैं, जो पुरातात्वियों को आकर्षित करती है। | ||
अन्य जानकारी | यहाँ मंदिरों और किलेबंदी के कई खंडहर भी मौजूद हैं, जहाँ चौथी और पंद्रहवी सदी में गोंड जनजाति का निवास स्थान हुआ करता था। |
सतपुड़ा बाघ अभयारण्य मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में सतपुड़ा की बीहड़ पहाड़ियों में बसा हुआ है। यह अभयारण्य जैव विविधता से परिपूर्ण है। मध्य प्रदेश की सबसे ऊँची चोटी धूपगढ़ भी अभयारण्य में ही स्थित है। सूखे कांटेदार जंगलों से लेकर उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती, नम पर्णपाती और अर्द्ध सदाबहार जंगलों की जैव विविधता के कारण यह क्षेत्र अद्वितीय है। उद्यान का क्षेत्र वन्य जीवन से समृद्ध है। बाघ अच्छी संख्या में पाये जाते है, लेकिन वह घने वन क्षेत्रों तक ही सीमित हैं।
क्षेत्रफल व स्थापना
'पंचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य' और 'बोरी वन्य जीवन अभयारण्य' के साथ यह बाघ अभयारण्य 2133.30 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र पर फैला हुआ है। जैव सांस्कृतिक विविधता से संपन्न इस 'सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान' की स्थापना वर्ष 1981 में हुई थी। इसके बाद से ही यहाँ कुछ दुर्लभ पौधे और पशु प्रजातियाँ पलने लगी। राज्य का महत्वपूर्ण हिल स्टेशन पंचमढ़ी, इसी 'पंचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य' के क्षेत्र में स्थित है। मध्यप्र देश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ भी (1352 मीटर) उद्यान के अंदर स्थित है। आम तौर पर पहाड़ी ढलानों वाला यह इलाका घने जंगलों के साथ गहरी और संकरी घाटियाँ, नालें, आश्रय घाटियों और पानी के झरनों से सजा हुआ है।[1]
वनस्पति
सूखे कांटेदार जंगलों से लेकर उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती, नम पर्णपाती और अर्द्ध सदाबहार जंगलों की जैव विविधता के कारण यह क्षेत्र अद्वितीय है। यहा सागौन, साल और मिश्रित वन प्रमुखता से दिखाई देते हैं। 'बोरी वन्यजीव अभयारण्य' बांस से समृद्ध है। इस क्षेत्र में फूल और गैर-फूल के पौधों की 1200 से अधिक किस्में पाई जाती हैं। उनमें से कुछ बहुत ही दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजाति हैं, जो केवल पंचमढ़ी पठार जैसे बारह मासी धाराओं के साथ गहरी घाटियों में फैले क्षेत्र में विकसित होती है।
जीव-जंतु
उद्यान का क्षेत्र वन्य जीवन से समृद्ध है। बाघ अच्छी संख्या में पाये जाते है, लेकिन वह घने वन क्षेत्रों तक ही सीमित है। तेंदुए पूरे उद्यान भर में पाए जाते हैं। अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों में भारतीय बायसन (गौर), भारतीय विशाल गिलहरी और गिरगिट पाए जाते हैं। सांभर, चीतल, चिंकारा, माऊस डीअर और भौंकने वाले हिरण भी मौजूद हैं। अभयारण्य में नीलगाय, चौसिंघा, लंगूर, जंगली कुत्ते, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली जैसे जीव भी पाए जाते हैं। यहाँ अक्सर आलसी भालू और जंगली सुअर भी देखे जाते हैं।[1]
अभयारण्य के जल निकाय मगरमच्छ और मछली की प्रजातीयों से समृद्ध हैं। इस क्षेत्र में व्यापक पक्षी जीवन मौजूद है। इन जंगली पक्षियों में बटेर, तीतर, मधुमक्खी का भक्षण करने वाले, तोता, इग्रेट, ईगल, मैना, बुलबुल, मालाबार पाईड हॉर्नबिल और गिद्ध शामिल हैं। यहाँ की रंगीन तितलियाँ, पतिंगे और अन्य कीड़ों की विविधता भी आकर्षित कर लेती है। वन्य जीवन को देखने के लिए मडई, चूर्ण, बोरी, ढल और पारसनी क्षेत्र बेहतर हैं।
पर्यटन स्थल
पचमढ़ी पठार पर स्थित उद्यान में लड़ाई, शिकार, पशु, समारोह और लोगों के दैनिक जीवन के चित्रण वाली 130 से अधिक धूमील गुफ़ाएँ हैं, जो पुरातात्वियों को आकर्षित करती है। इनमें से कुछ 10,000 से भी अधिक साल पुरानी होने का अनुमान हैं। यहाँ मंदिरों और किलेबंदी के कई खंडहर भी मौजूद हैं, जहाँ चौथी और पंद्रहवी सदी में गोंड जनजाति का निवास स्थान हुआ करता था। उद्यान की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवम्बर और जून के बीच है। मानसून के दौरान उद्यान बंद रहता है।
कैसे पहुँचें
भोपाल (210 कि.मी.), जबलपुर (240 कि.मी.), नागपुर (250 कि.मी.) और छिंदवाड़ा (85 कि.मी.) से सड़क मार्ग से इस अभयारण्य तक पहुँचना आसान है। पिपरिया (52 कि.मी.) यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन है और इटारसी निकटतम रेल जंक्शन है। पंचमढ़ी निकटतम बस स्टैंड है और साथ ही इस अभयारण्य का प्रवेश द्वार भी है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 सतपुड़ा बाघ अभयारण्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
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