गोम्मटसार जीवतत्त्व प्रदीपिका: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
 
Line 21: Line 21:
[[Category:जैन दर्शन]]
[[Category:जैन दर्शन]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:जैन धर्म]][[Category:जैन धर्म कोश]]
[[Category:जैन धर्म]][[Category:जैन धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 13:41, 21 March 2014

गोम्मटसार-जीवतत्त्व प्रदीपिका केशववर्णी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध टीका है। उन्होंने इसे संस्कृत और कन्नड़ दोनों भाषाओं में लिखा है।

  • जैसे वीरसेन स्वामी ने अपनी संस्कृत प्राकृत मिश्रित धवला टीका द्वारा षट्खंडागम के रहस्यों का उद्घाटन किया है उसी प्रकार केशववर्णी ने भी अपनी इस जीवतत्त्व प्रदीपिका द्वारा जीवकाण्ड के रहस्यों का उद्घाटन कन्नड़ मिश्रित संस्कृत में किया है।
  • केशववर्णी की गणित में अबाध गति थी इसमें जो करणसूत्र उन्होंने दिए हैं वे उनके लौकिक और अलौकिक गणित के ज्ञान को प्रकट करते हैं।
  • इन्होंने अलौकिक गणित संबंधी एक स्वंतत्र ही अधिकार इसमें दिया है, जो त्रिलोक प्रज्ञप्ति और त्रिलोक सार के आधार पर लिखा गया मालूम होता है।
  • आचार्य अकलंक के लघीयस्त्रय और आचार्य विद्यानंद की आप्तपरीक्षा आदि ग्रंन्थों के विपुल प्रमाण इसमें उन्होंने दिए हैं।
  • यह टीका कन्नड़ में होते हुए भी संस्कृत बहुल है।
  • इससे प्रतीत होता है कि जैन आचार्यों में दक्षिण में अपनी भाषा के सिवाय संस्कृत भाषा के प्रति भी विशेष अनुराग रहा है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख