त्रिऋषि सरोवर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "श्रृंखला" to "शृंखला")
m (Adding category Category:नैनीताल (Redirect Category:नैनीताल resolved) (को हटा दिया गया हैं।))
Line 12: Line 12:
{{उत्तराखंड के पर्यटन स्थल}}
{{उत्तराखंड के पर्यटन स्थल}}
[[Category:उत्तराखंड]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]][[Category:उत्तराखंड के पर्यटन स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]]
[[Category:उत्तराखंड]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]][[Category:उत्तराखंड के पर्यटन स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]]
[[Category:नैनीताल]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 08:24, 20 November 2014

त्रिऋषि सरोवर का उल्लेख स्कन्द पुराण में हुआ है। आधुनिक नैनीताल की नैनी झील को ही ऋषि अत्रि, पुलह और पुलस्त्य के नाम पर ही 'त्रिऋषि सरोवर' कहा गया है। पौराणिक किंवदंती के अनुसार इन ऋषियों ने इस झील के तट पर प्राचीन काल में तप किया था।

मान्यताएँ

यह माना जाता है कि जब तीनों ऋषि (अत्रि, पुलह और पुलस्त्य) नैनीताल की यात्रा करते-करते गागर पहाड़ी शृंखला की उस चोटी पर पहुँचे, जिसे वर्तमान समय में अब 'चाइना पीक' के नाम से जाना जाता है, तब वे प्यास से व्याकुल हो उठे। उन्हें इस स्थान में पानी नहीं मिला। तीनों ऋषि प्यास से बेहाल थे। ऐसे समय में तीनों ऋषियों ने 'मानसरोवर' का ध्यान किया और ज़मीन में बड़ा-सा छेद कर दिया। कुछ ही समय बाद वह छेद मानस जल से भर गया। तब ऋषियों ने इस जल से अपनी प्यास शांत की। उनके द्वारा सृजित इस झील का नाम 'त्रिऋषि सरोवर' पड़ा।

एक अन्य मान्यता यह भी है कि इस सरोवर में स्नान करने से वही फल प्राप्त होता है, जो मानसरोवर में स्नान करने से मिलता है। बाद में इस झील का नाम 'नैनी झील' उस देवी के नाम पर पड़ा, जिसका मंदिर इस झील के किनारे स्थित है। 1880 ई. के भूस्खलन में यह मंदिर नष्ट हो गया था, जिसे फिर से पुन: उस स्थान पर बनाया गया, जहाँ यह इस समय स्थित है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 410 |


संबंधित लेख