रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड): Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
Line 5: Line 5:
|कवि= [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]]
|कवि= [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]]
|मूल_शीर्षक = रामचरितमानस
|मूल_शीर्षक = रामचरितमानस
|मुख्य पात्र = [[राम]], [[सीता]], [[लक्ष्मण]], [[हनुमान]], [[रावण]], [[भरत (दशरथ पुत्र)|भरत]], [[शत्रुघ्न]]
|मुख्य पात्र = [[राम]], [[सीता]], [[लक्ष्मण]], [[हनुमान]], [[रावण]] आदि
|कथानक =  
|कथानक =  
|अनुवादक =
|अनुवादक =
Line 29: Line 29:
|टिप्पणियाँ =  
|टिप्पणियाँ =  
}}
}}
<div class="bgrahimdv">
{{poemopen}}
<poem>
;श्लोक
;श्लोक
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
Line 54: Line 55:
नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोऽपि।
नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोऽपि।
स्वान्तःसुखाय तुलसी रघुनाथगाथा-भाषानिबन्धमतिमञ्जुलमातनोति।।7।।
स्वान्तःसुखाय तुलसी रघुनाथगाथा-भाषानिबन्धमतिमञ्जुलमातनोति।।7।।
</poem>
{{poemclose}}


{{लेख क्रम4| पिछला= |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=जो सुमिरत सिधि होइ }}


{{लेख क्रम4| पिछला= |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=जो सुमिरत सिधि होइ }}
</div>





Revision as of 09:17, 14 May 2016

रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड)
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
श्लोक

वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मङ्गलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ।।1।।

भवानीशङ्करौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ।
याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाःस्वान्तःस्थमीश्वरम्।।2।।

वन्दे बोधमयं नित्यं गुरुं शङ्कररूपिणम्।
यमाश्रितो हि वक्रोऽपि चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते।।3।।

सीतारामगुणग्रामपुण्यारण्यविहारिणौ।
वन्दे विशुद्धविज्ञानौ कबीश्वरकपीश्वरौ।।4।।

उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्।
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्।।5।।

यन्मायावशवर्तिं विश्वमखिलं ब्रह्मादिदेवासुरा
यत्सत्वादमृषैव भाति सकलं रज्जौ यथाहेर्भ्रमः।

यत्पादप्लवमेकमेव हि भवाम्भोधेस्तितीर्षावतां
वन्देऽहं तमशेषकारणपरं रामाख्यमीशं हरिम्।।6।।

नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोऽपि।
स्वान्तःसुखाय तुलसी रघुनाथगाथा-भाषानिबन्धमतिमञ्जुलमातनोति।।7।।


left|30px|link=|पीछे जाएँ रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) right|30px|link=जो सुमिरत सिधि होइ|आगे जाएँ


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख