बिदा किए बटु बिनय: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
कविता भाटिया (talk | contribs) ('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
कविता भाटिया (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 32: | Line 32: | ||
{{poemopen}} | {{poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
; | ;दोहा | ||
बिदा किए बटु बिनय करि फिरे पाइ मन काम। | बिदा किए बटु बिनय करि फिरे पाइ मन काम। | ||
उतरि नहाए जमुन जल जो सरीर सम स्याम॥109॥</poem> | उतरि नहाए जमुन जल जो सरीर सम स्याम॥109॥</poem> | ||
Line 44: | Line 44: | ||
''' | '''दोहा''' - मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं। | ||
Latest revision as of 06:22, 19 June 2016
बिदा किए बटु बिनय
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
बिदा किए बटु बिनय करि फिरे पाइ मन काम। |
- भावार्थ
तदनन्तर श्री रामजी ने विनती करके चारों ब्रह्मचारियों को विदा किया, वे मनचाही वस्तु (अनन्य भक्ति) पाकर लौटे। यमुनाजी के पार उतरकर सबने यमुनाजी के जल में स्नान किया, जो श्री रामचन्द्रजी के शरीर के समान ही श्याम रंग का था॥109॥
left|30px|link=ग्राम निकट जब निकसहिं जाई|पीछे जाएँ | बिदा किए बटु बिनय | right|30px|link=सुनत तीरबासी नर नारी|आगे जाएँ |
दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख