सजल नयन तन पुलकि: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:12, 19 June 2016
सजल नयन तन पुलकि
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
सजल नयन तन पुलकि निज इष्टदेउ पहिचानि। |
- भावार्थ
अपने इष्टदेव को पहचानकर उसके नेत्रों में जल भर आया और शरीर पुलकित हो गया। वह दण्ड की भाँति पृथ्वी पर गिर पड़ा, उसकी (प्रेम विह्वल) दशा का वर्णन नहीं किया जा सकता॥110॥
left|30px|link=तेहि अवसर एक तापसु आवा|पीछे जाएँ | सजल नयन तन पुलकि | right|30px|link=राम सप्रेम पुलकि उर लावा|आगे जाएँ |
दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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