बिप्र बिबेकी बेदबिद: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
कविता भाटिया (talk | contribs) No edit summary |
कविता भाटिया (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 32: | Line 32: | ||
|टिप्पणियाँ = | |टिप्पणियाँ = | ||
}} | }} | ||
{{poemopen} | {{poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
;दोहा | ;दोहा |
Revision as of 06:58, 30 June 2016
बिप्र बिबेकी बेदबिद
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
सभी (7) काण्ड क्रमश: | बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड, उत्तरकाण्ड |
बिप्र बिबेकी बेदबिद संमत साधु सुजाति। |
- भावार्थ
जैसे कोई विवेकशील, वेद का ज्ञाता, साधुसम्मत आचरणों वाला और उत्तम जाति का (कुलीन) ब्राह्मण धोखे से मदिरा पी ले और पीछे पछतावे, उसी प्रकार मंत्री सुमंत्र सोच कर रहे (पछता रहे) हैं॥144॥
left|30px|link=मीजि हाथ सिरु धुनि पछिताई|पीछे जाएँ | बिप्र बिबेकी बेदबिद | right|30px|link=जिमि कुलीन तिय साधु सयानी|आगे जाएँ |
दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (अयोध्याकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-235
संबंधित लेख