बारंबार सकोप मुनि: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
Line 31: Line 31:
|टिप्पणियाँ =  
|टिप्पणियाँ =  
}}
}}
;काकभुशुण्डि-लोमश-संवाद
{{poemopen}}
{{poemopen}}
<poem>
<poem>

Revision as of 12:26, 16 July 2016

बारंबार सकोप मुनि
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
काकभुशुण्डि-लोमश-संवाद
दोहा

बारंबार सकोप मुनि करइ निरूपन ग्यान।
मैं अपनें मन बैठ तब करउँ बिबिधि अनुमान॥111 क॥

भावार्थ

मुनि बार-बार क्रोध सहित ज्ञान का निरूपण करने लगे। तब मैं बैठा-बैठा अपने मन में अनेकों प्रकार के अनुमान करने लगा॥111 (क)॥


left|30px|link=सुनु प्रभु बहुत अवग्या किएँ|पीछे जाएँ बारंबार सकोप मुनि right|30px|link=क्रोध कि द्वैतबुद्धि बिनु|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (उत्तरकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-529

संबंधित लेख