बागु तड़ागु बिलोकि: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
सपना वर्मा (talk | contribs) No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<h4 style="text-align:center;">रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : पुष्पवाटिका निरीक्षण</h4> | |||
{{सूचना बक्सा पुस्तक | {{सूचना बक्सा पुस्तक | ||
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg | |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg | ||
Line 29: | Line 30: | ||
|टिप्पणियाँ = | |टिप्पणियाँ = | ||
}} | }} | ||
{{poemopen}} | {{poemopen}} | ||
<poem> | <poem> |
Latest revision as of 14:20, 24 July 2016
रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : पुष्पवाटिका निरीक्षण
बागु तड़ागु बिलोकि
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
बागु तड़ागु बिलोकि प्रभु हरषे बंधु समेत। |
- भावार्थ-
बाग और सरोवर को देखकर प्रभु राम भाई लक्ष्मण सहित हर्षित हुए। यह बाग (वास्तव में) परम रमणीय है, जो (जगत को सुख देनेवाले) राम को सुख दे रहा है॥ 227॥
left|30px|link=मध्य बाग सरु सोह सुहावा|पीछे जाएँ | बागु तड़ागु बिलोकि | right|30px|link=चहुँ दिसि चितइ पूँछि मालीगन|आगे जाएँ |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख