मलिन बसन बिबरन: Difference between revisions

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<h4 style="text-align:center;">रामचरितमानस द्वितीय सोपान (अयोध्या काण्ड) : भरत-कौसल्या संवाद और दशरथजी की अन्त्येष्टि क्रिया </h4>
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Revision as of 12:56, 28 July 2016

रामचरितमानस द्वितीय सोपान (अयोध्या काण्ड) : भरत-कौसल्या संवाद और दशरथजी की अन्त्येष्टि क्रिया

मलिन बसन बिबरन
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

मलिन बसन बिबरन बिकल कृस शरीर दुख भार।
कनक कलप बर बेलि बन मानहुँ हनी तुसार॥163॥

भावार्थ

कौसल्याजी मैले वस्त्र पहने हैं, चेहरे का रंग बदला हुआ है, व्याकुल हो रही हैं, दुःख के बोझ से शरीर सूख गया है। ऐसी दिख रही हैं मानो सोने की सुंदर कल्पलता को वन में पाला मार गया हो॥163॥


left|30px|link=सुनि रिपुहन लखि नख सिख खोटी|पीछे जाएँ मलिन बसन बिबरन right|30px|link=भरतहि देखि मातु उठि धाई|आगे जाएँ


दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (अयोध्याकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-248

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