मिलखा सिंह: Difference between revisions

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'''मिलखा सिंह''' Milkha Singh का जन्म [[लायलपुर]] में [[8 अक्तूबर]] [[1935]] को हुआ था। मैदानी प्रतियोगिताओं के भारतीय संदर्भ में मिल्खा सिंह का नाम अत्यधिक प्रसिद्ध है। उन्होंने सफलताओं को दूरी में नापा। अपनी अदभुत गति के कारण वे 'उड़ता सिख' (FLYING SIKH) के नाम से जाने गए। मिल्खा सिंह देश के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में एक जाना पहचाना नाम है। उनका गौरवपूर्ण खेल जीवन सदैव युवा खिलाड़ियों को अधिक से अधिक शानदार प्रदर्शन के लिए प्रेरणा देता रहेगा। आजकल वे नये खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने में कार्यरत हैं।  
'''मिलखा सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Milkha Singh'') का जन्म [[लायलपुर]] में [[8 अक्तूबर]] [[1935]] को हुआ था। मैदानी प्रतियोगिताओं के भारतीय संदर्भ में मिल्खा सिंह का नाम अत्यधिक प्रसिद्ध है। उन्होंने सफलताओं को दूरी में नापा। अपनी अदभुत गति के कारण वे 'उड़ता सिख' (FLYING SIKH) के नाम से जाने गए। मिल्खा सिंह देश के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में एक जाना पहचाना नाम है। उनका गौरवपूर्ण खेल जीवन सदैव युवा खिलाड़ियों को अधिक से अधिक शानदार प्रदर्शन के लिए प्रेरणा देता रहेगा। आजकल वे नये खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने में कार्यरत हैं।  


==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==

Revision as of 10:11, 8 October 2016

मिलखा सिंह
पूरा नाम मिलखा सिंह
अन्य नाम 'उड़ता सिख'
जन्म 8 अक्तूबर, 1935
जन्म भूमि लायलपुर
कर्म भूमि भारत
पुरस्कार-उपाधि पद्मश्री (1959), एशियाई खेलों (1958), (1962), कॉमनवेल्थ खेलों, (1958)
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख पी. टी. उषा, शायनी विल्सन
अन्य जानकारी 'मिलखा सिंह' अपनी अदभुत गति के कारण 'उड़ता सिख' (FLYING SIKH) के नाम से जाने गए। मिल्खा सिंह देश के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में एक जाना पहचाना नाम है। उनका गौरवपूर्ण खेल जीवन सदैव युवा खिलाड़ियों को अधिक से अधिक शानदार प्रदर्शन के लिए प्रेरणा मिलती है।

मिलखा सिंह (अंग्रेज़ी: Milkha Singh) का जन्म लायलपुर में 8 अक्तूबर 1935 को हुआ था। मैदानी प्रतियोगिताओं के भारतीय संदर्भ में मिल्खा सिंह का नाम अत्यधिक प्रसिद्ध है। उन्होंने सफलताओं को दूरी में नापा। अपनी अदभुत गति के कारण वे 'उड़ता सिख' (FLYING SIKH) के नाम से जाने गए। मिल्खा सिंह देश के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में एक जाना पहचाना नाम है। उनका गौरवपूर्ण खेल जीवन सदैव युवा खिलाड़ियों को अधिक से अधिक शानदार प्रदर्शन के लिए प्रेरणा देता रहेगा। आजकल वे नये खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने में कार्यरत हैं।

जीवन परिचय

  • मिल्खा सिंह 1947 में अपने परिवार के साथ नवगठित पाकिस्तान से भारत आ गए थे। 9वीं पास करने के बाद वे मेकैनिकल व्यवसाय में संलग्न हो गए। 1953 में वे सेना में भर्ती हो गये। सेना में रहकर उन्होंने दौड़-कूद की और विशेष ध्यान दिया और 400 मीटर की दौड़ की तैयारियाँ प्रारम्भ कर दीं। thumb|250px|left|मिलखा सिंह
  • 1957 में उन्होंने 400 मीटर की दौड़ को 47.5 सैकेंड में पूरा करके नया राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाया था। 1958 में टोकियो एशियाई खेलों में भी उन्होंने 400 एवं 200 मीटर दौड़ में रिकार्ड बनाये।
  • कार्डिफ़, वेल्स, संयुक्त साम्राज्य में 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण जेतने के बाद सिख होने की वजह से लंबे बालों के साथ पदक स्वीकार ने पर पूरा खेल विश्व उन्हें जानने लगा।
  • 1960 के रोम ओलंपिक में दुर्भाग्यवश वे पदक से वंचित रहे और उन्हें चौथा स्थान प्राप्त हुआ। मिल्खा सिंह ने अपने देश के लिए सबसे ज़्यादा सफलताएँ अर्जित की हैं
  • मिलखा सिंह ने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उनको "उड़न सिख" का उपनाम दिया गया था।
  • इसी समय पर उन्हें पाकिस्तान से दौड़ने का आमन्त्रण मिला, लेकिन बचपन की घटनाओं की वजह से वे वहाँ जाने से हिचक रहे थे। लेकिन न जाने पर राजनीतिक उथल पुथल के डर से उन्हें जाने को कहा गया। उन्होंने दौड़ने का न्यौता स्वीकार लिया।
  • दौड़ में मिलखा सिंह ने सरलता से अपने प्रतिद्वन्द्वियों को ध्वस्त कर दिया, और आसानी से जीत गए। अधिकांशतः मुस्लिम दर्शक इतने प्रभावित हुए कि पूरी तरह बुर्कानशीन औरतों ने भी इस महान धावक को गुज़रते देखने के लिए अपने नक़ाब उतार लिए थे, तभी से उन्हें फ़्लाइंग सिख की उपाधि मिली।
  • मिलखा सिंह ने बाद में खेल से सन्न्यास ले लिया और भारत सरकार के साथ खेलकूद के प्रोत्साहन के लिए काम करना शुरू किया। अब वे चंडीगढ़ में रहते हैं।


उपलब्धियाँ

पुरस्कार एवं सम्मान

  • मिल्खा सिंह 1959 में 'पद्मश्री' से अलंकृत किये गये।


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