अवगुन मूल सूलप्रद: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
 
Line 32: Line 32:
<poem>
<poem>
;दोहा
;दोहा
अवगुन मूल सूलप्रद प्रमदा सब दुख खानि।
अवगुन मूल सूलप्रद प्रमदा सब दु:ख खानि।
ताते कीन्ह निवारन मुनि मैं यह जियँ जानि॥44॥
ताते कीन्ह निवारन मुनि मैं यह जियँ जानि॥44॥
</poem>
</poem>

Latest revision as of 14:01, 2 June 2017

अवगुन मूल सूलप्रद
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अरण्यकाण्ड
दोहा

अवगुन मूल सूलप्रद प्रमदा सब दु:ख खानि।
ताते कीन्ह निवारन मुनि मैं यह जियँ जानि॥44॥

भावार्थ

युवती स्त्री अवगुणों की मूल, पीड़ा देने वाली और सब दुःखों की खान है, इसलिए हे मुनि! मैंने जी में ऐसा जानकर तुमको विवाह करने से रोका था॥44॥



left|30px|link=पाप उलूक निकर सुखकारी|पीछे जाएँ अवगुन मूल सूलप्रद right|30px|link=सुनि रघुपति के बचन सुहाए|आगे जाएँ


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख