बूझिअ मोहि उपाउ अब: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
 
Line 40: Line 40:
अब आप मुझसे उपाय पूछते हैं, यह सब मेरा अभाग्य है। [[भरत|भरतजी]] के प्रेममय वचनों को सुनकर गुरुजी के हृदय में प्रेम उमड़ आया॥255॥
अब आप मुझसे उपाय पूछते हैं, यह सब मेरा अभाग्य है। [[भरत|भरतजी]] के प्रेममय वचनों को सुनकर गुरुजी के हृदय में प्रेम उमड़ आया॥255॥


{{लेख क्रम4| पिछला=दलि दुख सजइ सकल कल्याना |मुख्य शर्षक=रामचरितमानस |अगला= तात बात फुरि राम कृपाहीं}}
{{लेख क्रम4| पिछला=दलि दु:ख सजइ सकल कल्याना |मुख्य शर्षक=रामचरितमानस |अगला= तात बात फुरि राम कृपाहीं}}


'''दोहा''' - मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
'''दोहा''' - मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।

Latest revision as of 14:01, 2 June 2017

बूझिअ मोहि उपाउ अब
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

 बूझिअ मोहि उपाउ अब सो सब मोर अभागु।
सुनि सनेहमय बचनगुर उर उमगा अनुरागु॥255॥

भावार्थ

अब आप मुझसे उपाय पूछते हैं, यह सब मेरा अभाग्य है। भरतजी के प्रेममय वचनों को सुनकर गुरुजी के हृदय में प्रेम उमड़ आया॥255॥


left|30px|link=दलि दु:ख सजइ सकल कल्याना|पीछे जाएँ बूझिअ मोहि उपाउ अब right|30px|link=तात बात फुरि राम कृपाहीं|आगे जाएँ

दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (अयोध्याकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-286

संबंधित लेख