जामवंत के बचन सुहाए: Difference between revisions

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जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दु:ख कंद मूल फल खाई॥
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Latest revision as of 14:05, 2 June 2017

जामवंत के बचन सुहाए
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड सुन्दरकाण्ड
हनुमानजी का लंका को प्रस्थान, सुरसा से भेंट, छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वध
चौपाई

जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दु:ख कंद मूल फल खाई॥

भावार्थ

जाम्बवान के सुंदर वचन हनुमान के हृदय को बहुत ही भाए। (वे बोले -) हे भाई! तुम लोग दुःख सहकर, कंद-मूल-फल खाकर तब तक मेरी राह देखना -


left|30px|link=रामचरितमानस पंचम सोपान (सुंदरकाण्ड)|पीछे जाएँ जामवंत के बचन सुहाए right|30px|link=जब लगि आवौं सीतहि देखी|आगे जाएँ

चौपाई- चौपाई मात्रिक सम छन्द का एक भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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