निमिष निमिष करुनानिधि: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
Line 41: Line 41:




{{लेख क्रम4| पिछला=सीता कै अति बिपति बिसाला |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सुनि सीता दुख प्रभु सुख अयना}}
{{लेख क्रम4| पिछला=सीता कै अति बिपति बिसाला |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सुनि सीता दु:ख प्रभु सुख अयना}}





Revision as of 14:09, 2 June 2017

निमिष निमिष करुनानिधि
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, दोहा, छंद और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड सुन्दरकाण्ड
दोहा

निमिष निमिष करुनानिधि जाहिं कलप सम बीति।
बेगि चलिअ प्रभु आनिअ भुज बल खल दल जीति॥31॥

भावार्थ

हे करुणानिधान! उनका एक-एक पल कल्प के समान बीतता है। अतः हे प्रभु! तुरंत चलिए और अपनी भुजाओं के बल से दुष्टों के दल को जीतकर सीता जी को ले आइए॥31॥



left|30px|link=सीता कै अति बिपति बिसाला|पीछे जाएँ निमिष निमिष करुनानिधि right|30px|link=सुनि सीता दु:ख प्रभु सुख अयना|आगे जाएँ


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख