भगत भूमि भूसुर सुरभि: Difference between revisions

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वही कृपालु श्री [[रामचन्द्र|रामचन्द्रजी]] भक्त, भूमि, ब्राह्मण, गो और देवताओं के हित के लिए मनुष्य शरीर धारण करके लीलाएँ करते हैं, जिनके सुनने से जगत के जंजाल मिट जाते हैं॥93॥
वही कृपालु श्री [[रामचन्द्र|रामचन्द्रजी]] भक्त, भूमि, ब्राह्मण, गो और देवताओं के हित के लिए मनुष्य शरीर धारण करके लीलाएँ करते हैं, जिनके सुनने से जगत् के जंजाल मिट जाते हैं॥93॥


{{लेख क्रम4| पिछला= राम ब्रह्म परमारथ रूपा |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सखा समुझि अस परिहरि मोहू}}
{{लेख क्रम4| पिछला= राम ब्रह्म परमारथ रूपा |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सखा समुझि अस परिहरि मोहू}}

Latest revision as of 14:05, 30 June 2017

भगत भूमि भूसुर सुरभि
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
दोहा

भगत भूमि भूसुर सुरभि सुर हित लागि कृपाल।
करत चरित धरि मनुज तनु सुनत मिटहिं जग जाल॥93॥

भावार्थ

वही कृपालु श्री रामचन्द्रजी भक्त, भूमि, ब्राह्मण, गो और देवताओं के हित के लिए मनुष्य शरीर धारण करके लीलाएँ करते हैं, जिनके सुनने से जगत् के जंजाल मिट जाते हैं॥93॥


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दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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