अहंकार सिव बुद्धि अज: Difference between revisions

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[[शिव]] जिनका अहंकार हैं, [[ब्रह्मा]] बुद्धि हैं, [[चंद्रमा देवता|चंद्रमा]] मन हैं और महान् ([[विष्णु]]) ही चित्त हैं। उन्हीं चराचर रूप [[राम|भगवान राम]] ने मनुष्य रूप में निवास किया है॥ 15(क)॥





Latest revision as of 14:11, 30 June 2017

अहंकार सिव बुद्धि अज
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक 'रामचरितमानस'
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि।
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली दोहा, चौपाई और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड लंकाकाण्ड
दोहा

अहंकार सिव बुद्धि अज मन ससि चित्त महान।
मनुज बास सचराचर रूप राम भगवान॥ 15(क)॥

भावार्थ

शिव जिनका अहंकार हैं, ब्रह्मा बुद्धि हैं, चंद्रमा मन हैं और महान् (विष्णु) ही चित्त हैं। उन्हीं चराचर रूप भगवान राम ने मनुष्य रूप में निवास किया है॥ 15(क)॥



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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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