देखन मिस मृग बिहग: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
 
Line 37: Line 37:
{{poemclose}}
{{poemclose}}
;भावार्थ-
;भावार्थ-
मृग, पक्षी और वृक्षों को देखने के बहाने सीता बार-बार घूम जाती हैं और राम की छवि देख-देखकर उनका प्रेम कम नहीं बढ़ रहा है। (अर्थात बहुत ही बढ़ता जाता है)॥ 234॥
मृग, पक्षी और वृक्षों को देखने के बहाने सीता बार-बार घूम जाती हैं और राम की छवि देख-देखकर उनका प्रेम कम नहीं बढ़ रहा है। (अर्थात् बहुत ही बढ़ता जाता है)॥ 234॥


{{लेख क्रम4| पिछला=गूढ़ गिरा सुनि सिय सकुचानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=जानि कठिन सिवचाप बिसूरति}}
{{लेख क्रम4| पिछला=गूढ़ गिरा सुनि सिय सकुचानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=जानि कठिन सिवचाप बिसूरति}}

Latest revision as of 07:55, 7 November 2017

देखन मिस मृग बिहग
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

देखन मिस मृग बिहग तरु फिरइ बहोरि बहोरि।
निरखि निरखि रघुबीर छबि बाढ़इ प्रीति न थोरि॥ 234॥

भावार्थ-

मृग, पक्षी और वृक्षों को देखने के बहाने सीता बार-बार घूम जाती हैं और राम की छवि देख-देखकर उनका प्रेम कम नहीं बढ़ रहा है। (अर्थात् बहुत ही बढ़ता जाता है)॥ 234॥


left|30px|link=गूढ़ गिरा सुनि सिय सकुचानी|पीछे जाएँ देखन मिस मृग बिहग right|30px|link=जानि कठिन सिवचाप बिसूरति|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख