रुधिरोद्गारी संवत्सर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''रुधिरोद्गारी''' हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
'''रुधिरोद्गारी''' [[हिन्दू धर्म]] में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में 57वाँ है। इस [[संवत्सर]] के आने पर विश्व में हिंसक घटनाओं के कारण रक्तपात होता है और कई प्रकार की बीमारियों के कारण जनहानि होती है। इस संवत्सर का स्वामी चंद्रमा को कहा गया है।
'''रुधिरोद्गारी''' [[हिन्दू धर्म]] में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में 57वाँ है। इस [[संवत्सर]] के आने पर विश्व में हिंसक घटनाओं के कारण रक्तपात होता है और कई प्रकार की बीमारियों के कारण जनहानि होती है। इस संवत्सर का स्वामी चंद्रमा को कहा गया है।


*रुधिरोद्गारी संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु वातरक्त, कामला आदि रोगों से पीड़ित होकर दुर्बल शरीर वाला और क्रोधी तथा शस्त्र से कष्ट पाने वाले होगा।
*रुधिरोद्गारी संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु वातरक्त, कामला आदि रोगों से पीड़ित होकर दुर्बल शरीर वाला और क्रोधी तथा शस्त्र से कष्ट पाने वाला होगा।
*[[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] ने सृष्टि का आरम्भ [[चैत्र]] माह में [[शुक्ल पक्ष]] की [[प्रतिपदा]] से किया था, अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।
*[[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] ने सृष्टि का आरम्भ [[चैत्र]] माह में [[शुक्ल पक्ष]] की [[प्रतिपदा]] से किया था, अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।
*[[हिन्दू]] परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है।
*[[हिन्दू]] परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है।

Latest revision as of 11:44, 21 March 2018

रुधिरोद्गारी हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में 57वाँ है। इस संवत्सर के आने पर विश्व में हिंसक घटनाओं के कारण रक्तपात होता है और कई प्रकार की बीमारियों के कारण जनहानि होती है। इस संवत्सर का स्वामी चंद्रमा को कहा गया है।

  • रुधिरोद्गारी संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु वातरक्त, कामला आदि रोगों से पीड़ित होकर दुर्बल शरीर वाला और क्रोधी तथा शस्त्र से कष्ट पाने वाला होगा।
  • ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से किया था, अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।
  • हिन्दू परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है।
  • संवत्सर 60 हैं। जब 60 संवत पूरे हो जाते हैं तो फिर पहले से संवत्सर का प्रारंभ हो जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख