अनुप: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''अनुप''' [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] [[तट]] पर स्थित [[माहिष्मती]] के परवर्ती प्रदेश या निमाड़ का प्राचीन नाम है। गौतमीबलश्री के [[नासिक]] [[अभिलेख]] में अनुपदेश को [[सातवाहन]]-नरेश गौतमीपुत्र<ref>द्वितीय शती ई.</ref> के विशाल [[राज्य]] का एक अंग बताया गया है। [[कालिदास]] ने [[रघुवंश महाकाव्य]]<ref>[[रघुवंश महाकाव्य]] 6,37</ref> में, [[इंदुमती]] के [[स्वयंवर]] के प्रसंग में माहिष्मती-नरेश प्रतीप को अनूप-राज कहा है- <blockquote> | '''अनुप''' [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] [[तट]] पर स्थित [[माहिष्मती]] के परवर्ती प्रदेश या '''निमाड़''' का प्राचीन नाम है। गौतमीबलश्री के [[नासिक]] [[अभिलेख]] में अनुपदेश को [[सातवाहन]]-नरेश गौतमीपुत्र<ref>द्वितीय शती ई.</ref> के विशाल [[राज्य]] का एक अंग बताया गया है। [[कालिदास]] ने [[रघुवंश महाकाव्य]]<ref>[[रघुवंश महाकाव्य]] 6,37</ref> में, [[इंदुमती]] के [[स्वयंवर]] के प्रसंग में '''माहिष्मती-नरेश प्रतीप''' को अनूप-राज कहा है- <blockquote> | ||
<poem>'तामग्रतस्तामरसान्तराभामनूपराजस्यगुणैरनूनाम्, | <poem>'तामग्रतस्तामरसान्तराभामनूपराजस्यगुणैरनूनाम्, | ||
विधायसृष्टिं ललितां विधातुर्जगाद भूय: सुदतीं सुनन्दा'।</poem></blockquote> | विधायसृष्टिं ललितां विधातुर्जगाद भूय: सुदतीं सुनन्दा'।</poem></blockquote> | ||
[[रघुवंश महाकाव्य]]<ref>[[रघुवंश महाकाव्य]] 6,43</ref> में माहिष्मती का वर्णन है। [[गिरनार]]-स्थित [[रुद्रदामन|रुद्रदामन्]] के प्रसिद्ध अभिलेख में इस प्रदेश को रुद्रदामन् द्वारा विजित बताया गया है- | [[रघुवंश महाकाव्य]]<ref>[[रघुवंश महाकाव्य]] 6,43</ref> में माहिष्मती का वर्णन है। [[गिरनार]]-स्थित [[रुद्रदामन|रुद्रदामन्]] के प्रसिद्ध [[अभिलेख]] में इस प्रदेश को रुद्रदामन् द्वारा विजित बताया गया है- | ||
:'स्ववीर्यार्जितानाममनुरक्त प्रकृतीनां- आनर्त सुराष्ट्र श्वभ्रभरुकच्छ सिंधुसौवीर कुकुरापरान्त निषादादीनाम्'- | :'स्ववीर्यार्जितानाममनुरक्त प्रकृतीनां- आनर्त सुराष्ट्र श्वभ्रभरुकच्छ सिंधुसौवीर कुकुरापरान्त निषादादीनाम्'- | ||
अनुप या अनूप का शाब्दिक अर्थ 'जल के समीप' स्थित देश है। [[कच्छ]] ([[गुजरात]]) का एक प्राचीन नाम जिसका उल्लेख [[महाभारत]] में है। | अनुप या अनूप का शाब्दिक अर्थ ''''जल के समीप'''' स्थित देश है। [[कच्छ]] ([[गुजरात]]) का एक प्राचीन नाम जिसका उल्लेख [[महाभारत]] में है। | ||
Revision as of 11:41, 28 April 2018
अनुप नर्मदा तट पर स्थित माहिष्मती के परवर्ती प्रदेश या निमाड़ का प्राचीन नाम है। गौतमीबलश्री के नासिक अभिलेख में अनुपदेश को सातवाहन-नरेश गौतमीपुत्र[1] के विशाल राज्य का एक अंग बताया गया है। कालिदास ने रघुवंश महाकाव्य[2] में, इंदुमती के स्वयंवर के प्रसंग में माहिष्मती-नरेश प्रतीप को अनूप-राज कहा है-
'तामग्रतस्तामरसान्तराभामनूपराजस्यगुणैरनूनाम्,
विधायसृष्टिं ललितां विधातुर्जगाद भूय: सुदतीं सुनन्दा'।
रघुवंश महाकाव्य[3] में माहिष्मती का वर्णन है। गिरनार-स्थित रुद्रदामन् के प्रसिद्ध अभिलेख में इस प्रदेश को रुद्रदामन् द्वारा विजित बताया गया है-
- 'स्ववीर्यार्जितानाममनुरक्त प्रकृतीनां- आनर्त सुराष्ट्र श्वभ्रभरुकच्छ सिंधुसौवीर कुकुरापरान्त निषादादीनाम्'-
अनुप या अनूप का शाब्दिक अर्थ 'जल के समीप' स्थित देश है। कच्छ (गुजरात) का एक प्राचीन नाम जिसका उल्लेख महाभारत में है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ द्वितीय शती ई.
- ↑ रघुवंश महाकाव्य 6,37
- ↑ रघुवंश महाकाव्य 6,43