जॉन मार्शल: Difference between revisions
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'''सर जॉन हुबर्ट मार्शल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sir John Hubert Marshall'', जन्म- [[19 मार्च]], [[1876]]; मृत्यु- [[17 अगस्त]], [[1958]]) प्रसिद्ध पुरातत्त्वशास्त्री थे। वह [[1902]] से [[1928]] तक [[भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग]] के महानिदेशक थे।<br /> | |||
*हड़प्पा का प्रथम पुरातात्विक उत्खनन [[1921]] ई. में किया गया था। प्रथम उत्खनन का कार्य पुरातात्विक विभाग के निर्देशक जॉन मार्शल के नेतृत्व में [[दयाराम साहनी]] के द्वारा किया गया। | *हड़प्पा का प्रथम पुरातात्विक उत्खनन [[1921]] ई. में किया गया था। प्रथम उत्खनन का कार्य पुरातात्विक विभाग के निर्देशक जॉन मार्शल के नेतृत्व में [[दयाराम साहनी]] के द्वारा किया गया। | ||
*[[हड़प्पा]] और [[मोहनजोदड़ो]] पर सर जॉन मार्शल की किताब [[1931]] में दो खण्डों में प्रकाशित हुई थी, तब [[जवाहरलाल नेहरू]] देहरादून जेल में थे। उन दिनों वह अपनी बेटी इंदिरा के नाम दुनिया के [[इतिहास]] पर केंद्रित चिट्ठियाँ एक सिलसिले में लिख रहे थे, जिसका संकलित रूप ‘ग्लिम्सेस ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री’ के रूप में बाद में प्रकाशित हुआ। [[14 जून]], [[1932]] को जवाहरलाल नेहरू ने एक पत्र लिखा, जिसका शीर्षक था- ‘अ जम्प बैक टू मोहनजोदड़ो’। उन्होंने तब तक जॉन मार्शल की किताब नहीं पढ़ी थी, उसकी समीक्षा ही पढ़ी थी, लेकिन इतना ही पढ़ कर वह ऐसे और इतने अभिभूत हुए कि यकायक पीछे मुड़ कर देखने के लिए मजबूर हो गए। पत्र में जवाहरलाल नेहरू उत्साह से इतने भरे हुए थे कि हड़प्पा जाने की योजना ही बना ली।<ref>{{cite web |url=https://www.forwardpress.in/2019/05/indus-valley-civilisation-spread-hindi/ |title=सिंधु-घाटी सभ्यता का विस्तार|accessmonthday=09 मार्च|accessyear=2020 |last=मणि |first=प्रेमकुमार |authorlink= |format= |publisher=forwardpress.in |language=हिंदी}}</ref> | |||
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thumb|200px|सर जॉन मार्शल
सर जॉन हुबर्ट मार्शल (अंग्रेज़ी: Sir John Hubert Marshall, जन्म- 19 मार्च, 1876; मृत्यु- 17 अगस्त, 1958) प्रसिद्ध पुरातत्त्वशास्त्री थे। वह 1902 से 1928 तक भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक थे।
- हड़प्पा का प्रथम पुरातात्विक उत्खनन 1921 ई. में किया गया था। प्रथम उत्खनन का कार्य पुरातात्विक विभाग के निर्देशक जॉन मार्शल के नेतृत्व में दयाराम साहनी के द्वारा किया गया।
- हड़प्पा और मोहनजोदड़ो पर सर जॉन मार्शल की किताब 1931 में दो खण्डों में प्रकाशित हुई थी, तब जवाहरलाल नेहरू देहरादून जेल में थे। उन दिनों वह अपनी बेटी इंदिरा के नाम दुनिया के इतिहास पर केंद्रित चिट्ठियाँ एक सिलसिले में लिख रहे थे, जिसका संकलित रूप ‘ग्लिम्सेस ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री’ के रूप में बाद में प्रकाशित हुआ। 14 जून, 1932 को जवाहरलाल नेहरू ने एक पत्र लिखा, जिसका शीर्षक था- ‘अ जम्प बैक टू मोहनजोदड़ो’। उन्होंने तब तक जॉन मार्शल की किताब नहीं पढ़ी थी, उसकी समीक्षा ही पढ़ी थी, लेकिन इतना ही पढ़ कर वह ऐसे और इतने अभिभूत हुए कि यकायक पीछे मुड़ कर देखने के लिए मजबूर हो गए। पत्र में जवाहरलाल नेहरू उत्साह से इतने भरे हुए थे कि हड़प्पा जाने की योजना ही बना ली।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मणि, प्रेमकुमार। सिंधु-घाटी सभ्यता का विस्तार (हिंदी) forwardpress.in। अभिगमन तिथि: 09 मार्च, 2020।