चौधरी ब्रह्म प्रकाश: Difference between revisions
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'''चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Chaudhary Brahm Prakash Yadav'', जन्म- [[16 जून]], [[1918]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[1993]]) स्वतंत्रता सेनानी तथा [[दिल्ली]] के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] थे। वह लोकसभा के सदस्य भी रहे। सन [[1940]] में [[महात्मा गाँधी]] द्वारा चलाये गये [[व्यक्तिगत सत्याग्रह]] में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। चौधरी ब्रह्म प्रकाश [[1942]] के [[भारत छोड़ो आन्दोलन]] में भूमिगत नेताओं में से थे। अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण वह कई बार जेल भी गये। वह [[17 मार्च]], [[1952]] से [[12 फ़रवरी]], [[1955]] तक [[दिल्ली के मुख्यमंत्री]] रहे।<br /> | '''चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Chaudhary Brahm Prakash Yadav'', जन्म- [[16 जून]], [[1918]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[1993]]) स्वतंत्रता सेनानी तथा [[दिल्ली]] के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] थे। वह लोकसभा के सदस्य भी रहे। सन [[1940]] में [[महात्मा गाँधी]] द्वारा चलाये गये [[व्यक्तिगत सत्याग्रह]] में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। चौधरी ब्रह्म प्रकाश [[1942]] के [[भारत छोड़ो आन्दोलन]] में भूमिगत नेताओं में से थे। अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण वह कई बार जेल भी गये। वह [[17 मार्च]], [[1952]] से [[12 फ़रवरी]], [[1955]] तक [[दिल्ली के मुख्यमंत्री]] रहे।<br /> | ||
*[[एशिया]] का सबसे बड़ा आयुर्वेद अस्पताल जो कि नजफगढ़ के खैरा डाबर में बनाया गया है, उसका नाम चौधरी ब्रह्म प्रकाश के नाम पर रखा गया है। इतना ही नहीं विधानसभा में भी उनकी मूर्ति को लगाया गया है। | *[[एशिया]] का सबसे बड़ा आयुर्वेद अस्पताल जो कि नजफगढ़ के खैरा डाबर में बनाया गया है, उसका नाम चौधरी ब्रह्म प्रकाश के नाम पर रखा गया है। इतना ही नहीं विधानसभा में भी उनकी मूर्ति को लगाया गया है। |
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thumb|200px|चौधरी ब्रह्म प्रकाश
चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव (अंग्रेज़ी: Chaudhary Brahm Prakash Yadav, जन्म- 16 जून, 1918, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1993) स्वतंत्रता सेनानी तथा दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री थे। वह लोकसभा के सदस्य भी रहे। सन 1940 में महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गये व्यक्तिगत सत्याग्रह में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। चौधरी ब्रह्म प्रकाश 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भूमिगत नेताओं में से थे। अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण वह कई बार जेल भी गये। वह 17 मार्च, 1952 से 12 फ़रवरी, 1955 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे।
- एशिया का सबसे बड़ा आयुर्वेद अस्पताल जो कि नजफगढ़ के खैरा डाबर में बनाया गया है, उसका नाम चौधरी ब्रह्म प्रकाश के नाम पर रखा गया है। इतना ही नहीं विधानसभा में भी उनकी मूर्ति को लगाया गया है।
- चौधरी ब्रह्म प्रकाश भाग्य के बहुत धनी थे। दरअसल दिल्ली की पहली विधानसभा में मुख्यमंत्री देशबंधु गुप्ता को बनाए जाने की धोषणा कर दी गई थी, लेकिन जहाज दुर्घटना में उनकी आकस्मिक मृत्यु के बाद चौधरी ब्रह्म प्रकाश सीएम बने। वहीं जब उन्हें सीएम गद्दी से हटाकर गुरुमुख निहाल सिंह को सीएम बनाया गया तो उन्होंने मंत्रिमंडल में शामिल होने की शर्त पर डेवलपमेंट व फाइनेंस डिपार्टमेंट मांगा।
- बाहरी दिल्ली से गांधीवादी सी. कृष्णन नायर 1952 में सांसद रहे, जब चौधरी ब्रह्म प्रकाश को सांसद के रूप में कांग्रेस ने चेहरा बनाया तो उन्हें सबसे पहले 1957 में नवनिर्मित सीट दिल्ली सदर दी गई, क्योंकि नायर की खिलाफत करना आसान नहीं था। वहीं चौधरी ब्रह्म प्रकाश के सामने दिल्ली सदर से जनसंघ के कद्दावर नेता श्याम चरण गुप्ता मैदान में थे। तीसरे लोकसभा चुनाव जो कि 1962 में हुए थे, उसमें बाहरी दिल्ली से चौधरी ब्रह्म प्रकाश को कांग्रेस ने टिकट दिया और वह जीत गए।
- उनका दबदबा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब दिल्ली की 7 सीटों में से 6 सीट जनसंघ के पास चली गई थीं, उस समय सिर्फ बाहरी दिल्ली की सीट पर ही कांग्रेस को विजय मिली थी, जिस पर चौधरी ब्रह्म प्रकाश खड़े थे।
- आपात काल के बाद साल 1977 में हुए छठें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बंटवारे से आहत चौधरी ब्रह्म प्रकाश ने जनता पार्टी का दामन थाम लिया। उन्हें जनता पार्टी ने बाहरी दिल्ली से ही टिकट दी और वह रिकार्ड तोड़ मतों से जीते। बताया जाता है कि उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय में पढऩे वाले छात्रों का बड़ा सपोर्ट मिला था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | राज्य | मुख्यमंत्री | तस्वीर | पार्टी | पदभार ग्रहण |