सिद्धसेन द्वितीय: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
||
Line 2: | Line 2: | ||
*इन्होंने न्यायशास्त्र का एकमात्र 'न्यायावतार' ग्रन्थ लिखा है, जिसमें जैन न्यायविद्या का 32 कारिकाओं में सांगोपांग निरूपण किया है। | *इन्होंने न्यायशास्त्र का एकमात्र 'न्यायावतार' ग्रन्थ लिखा है, जिसमें जैन न्यायविद्या का 32 कारिकाओं में सांगोपांग निरूपण किया है। | ||
*इनकी रची कुछ द्वात्रिंशतिकाएँ भी हैं जिनमें [[तीर्थंकर]] की स्तुति के बहाने [[जैन दर्शन]] और जैन न्याय का भी दिग्दर्शन किया गया है। | *इनकी रची कुछ द्वात्रिंशतिकाएँ भी हैं जिनमें [[तीर्थंकर]] की स्तुति के बहाने [[जैन दर्शन]] और जैन न्याय का भी दिग्दर्शन किया गया है। | ||
== | ==संबंधित लेख== | ||
{{जैन धर्म2}} | {{जैन धर्म2}} | ||
{{जैन धर्म}} | {{जैन धर्म}} |