अद्धा (सल्तकालीन सिक्का): Difference between revisions
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'''अद्धा''' [[भारतीय इतिहास]] के [[सल्तनत काल]] में प्रचलित [[ताँबा|ताँबे]] का सिक्का था, जो [[फ़िरोज़शाह तुग़लक़|सुल्तान फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] द्वारा प्रयोग में लाया गया था।<ref>यूजीसी इतिहास, पृ.सं. 145</ref> | '''अद्धा''' [[भारतीय इतिहास]] के [[सल्तनत काल]] में प्रचलित [[ताँबा|ताँबे]] का सिक्का था, जो [[फ़िरोज़शाह तुग़लक़|सुल्तान फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] द्वारा प्रयोग में लाया गया था।<ref>यूजीसी इतिहास, पृ.सं. 145</ref> |
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चित्र:Disamb2.jpg अद्धा | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अद्धा (बहुविकल्पी) |
अद्धा भारतीय इतिहास के सल्तनत काल में प्रचलित ताँबे का सिक्का था, जो सुल्तान फ़िरोज़शाह तुग़लक़ द्वारा प्रयोग में लाया गया था।[1]
- फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने मुद्रा व्यवस्था के अन्तर्गत बड़ी संख्या में ताँबे एवं चाँदी के मिश्रण से निर्मित सिक्के जारी करवाये, जिसे सम्भवतः ‘अद्धा’ एवं ‘मिस्र’ कहा जाता था।
- उसने ‘शंशगानी’ (6 जीतल का) का नया सिक्का भी चलवाया था।
- सिक्कों पर अपने नाम के साथ फ़िरोज़शाह ने अपने पुत्र अथवा उत्तराधिकारी 'फ़तह ख़ाँ' का नाम अंकित करवाया।
- फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने अपने को ख़लीफ़ा का नाइब पुकारा तथा सिक्कों पर ख़लीफ़ा का नाम अंकित किया।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ यूजीसी इतिहास, पृ.सं. 145