मुहल्ला बड़ागणेश अखाड़ा, वाराणसी

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हरिश्चन्द्र कालेज की पश्चिमी-दीवार से होती हुई गली में कुछ कदम पर मुहल्ला बड़ागणेश में यह अखाड़ा है। इसके संस्थापक नरसिंह चौतरा के महन्त शालिग्राम थे। बाहर से आने वाले तमाम नामी पहलवानों का जमावड़ा यहाँ होता था। यहाँ के निर्देशक विन्देश्वरी शुक्ल की लड़ाई गोरखपुर के किताबू नट, कानपुर के अद्धा तथा उमानाथ से हुई थी। मशहूर पहलवान खड़गा सिंह इन्हीं का शिष्य था। वाराणसी के शिवमूरत तथा मंगलाराय इनकी छत्रछाया में पले। बुद्धू और कल्लू ने यहाँ तहलका मचा दिया था। जहूर, साधो, बोधा, सुमेर, सर्वजीत, भैयालाल, फक्कड़, चमाँव, झिंगुरी आदि नामी पहलवानों से कुश्तियाँ हुई। कृष्णकुमार और मंगलाराय ने काफ़ी नाम कमाया। सिगरा के कृष्णानन्द ने कई कुश्तियाँ लड़ी और जीती। यह अखाड़ा करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व स्थापित हुआ था।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अखाड़े/व्यायामशालाएँ (हिंदी) काशीकथा। अभिगमन तिथि: 19 जनवरी, 2014।

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