श्वेतगिरि

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श्वेतगिरि का उल्लेख हिन्दू धार्मिक ग्रंथ महाभारत, वनपर्व में हुआ है-

'श्वेतंगिरिं प्रवेक्ष्यामो मंदरं चैव पर्वतम्, यत्रमणिवरो: यक्षः कुबेरश्चैव यक्षराट्।'[1]

  1. नील
  2. श्वेत
  3. श्रंगी

'नीलः श्वेतश्च श्रंगी च उत्तरे वर्षपर्वताः।'

  • यह श्वेतवर्ष का मुख्य पर्वत है।
  • 'महाभारत' का 'श्वेतगिरि' तथा 'विष्णुपुराण' का 'श्वेत' एक ही जान पड़ते हैं।
  • श्वेतगिरि का अभिज्ञान कुछ विद्वान हिमालय में स्थित 'धवलगिरि' या 'धौलागिरि' से भी करते हैं।[3]
  • श्वेतगिरि को महाभारत में 'श्वेतपर्वत' भी कहा गया है। 'मत्स्यपुराण' में दैत्य-दानवों को श्वेतपर्वत का निवासी बताया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, वनपर्व 139,5
  2. वनपर्व 139, 11
  3. 3.0 3.1 ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 926 |
  4. विष्णुपुराण 2, 2, 10

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