द्रव्यसंग्रह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:47, 9 February 2021 by आदित्य चौधरी (talk | contribs) (Text replacement - "छः" to "छह")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

द्रव्यसंग्रह (अंग्रेज़ी: Dravyasaṃgraha) नौंवी-दसवीं सदी में लिखा गया एक जैन ग्रन्थ है। यह शौरसेनी प्राकृत में आचार्य नेमिचंद्र द्वारा लिखा गया था। द्रव्यसंग्रह में कुल 58 गाथाएँ है। द्रव्यसंग्रह पर लिखी गयी टीकाओं में प्रमुख टीका ब्रह्मदेव की है।

  • इनमें छह द्रव्यों का वर्णन है- जीव, पुद्गल, धर्म द्रव्य, अधर्म द्रव्य, आकाश और काल द्रव्य।
  • यह एक बहुत महत्वपूर्ण जैन ग्रन्थ है और जैन शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • द्रव्यसंग्रह ग्रन्थ को अक्सर याद किया जाता है, क्योंकि इसमें संक्षिप्त पर बहुत अच्छे से द्रव्यों के स्वरूप का वर्णन है।
  • इस संग्रह ग्रन्थ में व्यवहार नय और निश्चय नय की अपेक्षा से कथन किया गया है।
  • ग्रन्थ का अंग्रेज़ी में अनुवाद करने वाले शरत् चन्द्र घोषाल ने द्रव्यसंग्रह को तीन भागों में बांटा था- पहले भाग में छ: द्रव्यों का वर्णन (छंद 1-27), दूसरे में सात तत्त्व (छंद 28-39) और तीसरे भाग में मोक्ष या मुक्ति मार्ग का निरूपण है।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः