जाचक लिए हँकारि दीन्हि

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जाचक लिए हँकारि दीन्हि
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

जाचक लिए हँकारि दीन्हि निछावरि कोटि बिधि।
चिरु जीवहुँ सुत चारि चक्रबर्ति दसरत्थ के॥ 295॥

भावार्थ-

फिर भिक्षुकों को बुलाकर करोड़ों प्रकार की निछावरें उनको दीं। 'चक्रवर्ती महाराज दशरथ के चारों पुत्र चिरंजीवी हों'॥ 295॥


left|30px|link=मुनि प्रसादु कहि द्वार सिधाए|पीछे जाएँ जाचक लिए हँकारि दीन्हि right|30px|link=कहत चले पहिरें पट नाना|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (बालकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-147

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