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- खेलत फाग दुहूँ तिय कौ -बिहारी लाल
- खेलत फाग सुहाग भरी -रसखान
- खेलत रहे तहाँ सुधि पाई
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- खैंचि सरासन श्रवन
- खैंची लबों ने आह -अना क़ासमी
- खैचहिं गीध आँत तट भए
- खैबर दर्रा
- खैर, खून, खाँसी, खुसी -रहीम