आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:49, 1 October 2013 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) ('हिन्दी साहित्य का आधुनिक काल 'भारतीय इतिहास' के ब...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

हिन्दी साहित्य का आधुनिक काल 'भारतीय इतिहास' के बदलते हुए स्वरूप से काफ़ी प्रभावित था। 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम' और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव भी साहित्य में आ गया था। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का भी तेज़ी से विकास हुआ। अंग्रेज़ी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढ़ा और जीवन में बदलाव आने लगा। ईश्वर के साथ-साथ मानव को महत्त्व दिया जाने लगा था। भावना के साथ-साथ विचारों को पर्याप्त प्रधानता मिली। पद्य के साथ ही गद्य का भी पर्याप्त विकास हुआ और छापेखाने के आते ही साहित्य के संसार में एक नयी क्रांति का बीजारोपण हुआ।

गद्य का विकास

आधुनिक हिन्दी गद्य का विकास केवल हिन्दी भाषी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रह गया था। पूरे देश में और हर प्रदेश में हिन्दी की लोकप्रियता व्याप्त होने लगी थी और अनेक अन्य भाषी लेखकों ने भी हिन्दी में साहित्य की रचना करके इसके विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया।[1] हिन्दी गद्य के विकास को निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. भारतेन्दु पूर्व युग - (1800 ई. से 1850 ई. तक)
  2. भारतेन्दु युग - (1850 ई. से 1900 ई. तक)
  3. द्विवेदी युग - (1900 ई. से 1920 ई. तक)
  4. रामचन्द्र शुक्ल तथा प्रेमचन्द युग - (1920 ई. से 1936 ई. तक)
  5. अद्यतन युग - (1936 ई. से आज तक)


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 01 अक्टूबर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः