तकिया मुहल्ला अखाड़ा, वाराणसी

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लहुराबीर तक जाने वाली सड़क पर दाहिनी ओर तथा काशीपुरा को एक गली, जो लखनऊ की भुलभुलैया से भी ज्यादा खतरनाक है, तकिया स्थित एक मुहल्ले में यह अखाड़ा लाल चहारदीवारियों के बीच घिरा है। अन्दर ढेर सारी समाधियाँ नजर आती हैं। उनके संचालकों का दावा है कि यह औरंगजेब के जमाने का अखाड़ा है। इस अखाड़ें से सम्बन्धित एक ऐतिहासिक तथ्य यहाँ के संचालक बताते हैं- औरंगजेब के शासन काल में कई औघड़ों को कैद कर लिया गया। बाबा ब्रह्मनाथ, जो उस समय के प्रसिद्ध औघड़ थे, जेल गये। उन्होंने अपने चमत्कार द्वारा बिना किसी के चलाये सभी चक्कियों को चला दिया। बाबा फिर यहीं जीवित समाधिस्थ हुए। वहाँ तेरह समाधियाँ और कुआँ है। इस कुएँ के पानी से उदर रोग ठीक हो जाता है। बताया गया कि पहले यहाँ अखाड़ा नहीं था। श्मशान घाट था। गंगा बहती थी। औघड़ों ने इसे सिद्ध स्थल बना दिया। यहाँ कुश्तियाँ नहीं होतीं। जोड़ियाँ फेरी जाती हैं। दयाराम, शीललाल, बाबूलाल ने खूब नाम कमाया।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अखाड़े/व्यायामशालाएँ (हिंदी) काशीकथा। अभिगमन तिथि: 15 जनवरी, 2014।

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