अमानुल्लाह

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अमानुल्लाह अफ़ग़ानिस्तान का बादशाह (1919-1929 ई.) था। वह अपने पिता अमीर हबीबुल्ला (1901-19 ई.) के उत्तराधिकारी के रूप में गद्दी पर बैठा था। गद्दी पर बैठने के कुछ समय बाद ही उसने भारत के ब्रिटिश शासकों से लड़ाई छेड़ दी। अंग्रेज़ों की भारतीय सेना अफ़ग़ान सेना के मुकाबले में कहीं श्रेष्ठ थी। अमानुल्लाह ने 1929 ई. में अपनी गद्दी छोड़ दी और यूरोप चला गया।

  • अंग्रेज़ों से युद्ध के समय अमानुल्लाह की सेना श्रेष्ठ स्तर की नहीं थी।
  • अंग्रेज़ विमान, बेतार से ख़बर भेजने की व्यवस्था और शक्तिशाली विस्फोटक पदार्थों से पूर्ण थे।
  • एक अल्प समय युद्ध में अमानुल्लाह की सेना को आसानी से पराजित कर दिया गया।
  • अमानुल्लाह ने अगस्त 1919 ई. में संधि का प्रस्ताव किया, जिसकी पुष्टी 1921 ई. में हुई।
  • इस संधि के बाद अमानुल्लाह को अंग्रेज़ों से आर्थिक सहायता मिलनी बन्द हो गई, लेकिन उसे अपनी वैदेशिक नीति में आज़ादी मिल गई।
  • अफ़ग़ानिस्तान और इंग्लैंड में राजनीतिक सम्बन्ध स्थापित हो गये और एक-दूसरे की राजधानियों में राजदूत भेजे गए।
  • इसके बाद अंग्रेज़ों और अफ़ग़ानों के सम्बन्धों में सुधार हो गया।
  • अमानुल्लाह शाह ने उसके बाद यूरोप की यात्रा की और वहाँ से लौटने पर अपने देश में यूरोपीय ढंग से सुधार किये।
  • इन सुधारों से गृह युद्ध छिड़ गया, जिससे मजबूर होकर अमानुल्लाह ने 1929 ई. में गद्दी छोड़ दी।
  • उसके बाद वह अपनी मलका सुरैया के साथ यूरोप चला गया, जहाँ वह मृत्यु पर्यन्त प्रवास में रहा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 13 |


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