बहुरि कहहु करुनायतन

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बहुरि कहहु करुनायतन
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

बहुरि कहहु करुनायतन कीन्ह जो अचरज राम।
प्रजा सहित रघुबंसमनि किमि गवने निज धाम॥ 110॥

भावार्थ-

हे कृपाधाम! फिर वह अद्भुत चरित्र कहिए जो राम ने किया - वे रघुकुल शिरोमणि प्रजा सहित किस प्रकार अपने धाम को गए?॥ 110॥


left|30px|link=बन बसि कीन्हे चरित अपारा|पीछे जाएँ बहुरि कहहु करुनायतन right|30px|link=पुनि प्रभु कहहु सो तत्त्व बखानी|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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