पूँछ बुझाइ खोइ श्रम

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पूँछ बुझाइ खोइ श्रम
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, दोहा, छंद और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड सुन्दरकाण्ड
लंका जलाने के बाद हनुमान जी का सीताजी से विदा माँगना और चूड़ामणि पाना
दोहा

पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि।
जनकसुता कें आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥26॥

भावार्थ

पूँछ बुझाकर, थकावट दूर करके और फिर छोटा सा रूप धारण कर हनुमान जी श्री जानकी जी के सामने हाथ जोड़कर जा खड़े हुए॥26॥



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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।



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