करत बतकही अनुज सन

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करत बतकही अनुज सन
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

करत बतकही अनुज सन मन सिय रूप लोभान।
मुख सरोज मकरंद छबि करइ मधुप इव पान॥ 231॥

भावार्थ-

यों राम छोटे भाई से बातें कर रहे हैं, पर मन सीता के रूप में लुभाया हुआ उनके मुखरूपी कमल के छवि रूप मकरंद रस को भौंरे की तरह पी रहा है॥ 231॥


left|30px|link=रघुबंसिन्ह कर सहज सुभाऊ|पीछे जाएँ करत बतकही अनुज सन right|30px|link=चितवति चकित चहूँ दिसि सीता|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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